दिल से निकलेगी ना मरकर भी,
वतन की उल्फत,
मेरी मिट्टी से भी,
खशबू-ए-वतन आयेगी...।
आज के दौर में देशभक्ति की ये भावनायें और जज्बा उपभोक्तावाद संस्कृति तथा बाजारवाद के बोझ तले दबकर अंतिम साँसे गिन रही हैं जिसे पोषण की जरूररत है जो ईमानदारी की आँच से पककर ही निकल सकता है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मतदान स्थल और एक हेडमास्टर कहानी जैसा कि आम धारणा है, वस्तुतः जो धारणा बनवायी गयी है। चुनाव में प्रतिभागिता सुनिश्चित कराने एवं लो...
-
शिब्बनलाल सक्सेना , महराजंगज के मसीहा के रूप में प्रसिद्ध। जन्म 13 जुलाई 1906 में आगरा के गोकुलपुरा न...
-
खबर बहुत चिंतित करने वाली है कि भारतीय बैंको का एन.पी.ए. यानि कि नान परफारमिंग एसेट लगातार बढ़ता ही जा रहा है। कहा तो यह जा रहा है कि बैंक...
-
कहानी: ' सिंघम रिटर्न्स ' कहानी है बाजीराव सिंघम की जो कि मुंबई पुलिस का डीसीपी है। इससे पहले आपने फिल्म के प्रीक्वल ' स...
No comments:
Post a Comment