कई दिनों के इन्तजार के बाद आखिरकार बादलों को रहम आ ही गया और 2013 सीजन
की पहली बारिश 20 अप्रैल की रात को हो गई। अभी इस समय जबकि शाम के तीन बज रहे हैं
पिछले चार पाँच घण्टों से बारिश लागातार हो रही है। मौसम बहुत सुहावना हो गया है।
लेकिन इसी बीच मेरे लिये काम बढ़ भी गया है। घर के बगल में लगाई हुई भिण्डियाँ जो
बहुत तेजी के साथ बढ़ रही थीं, लेकिन अभी छोटी ही थीं, बारिश की वजह से गिर चुकी
हैं।
कुछ दिनों पहले से ही पुरुवा हवाओं ने सूरज की तपन को बहुत कुछ नियंत्रित
कर रखा था और रात में बिजली की चमक भी दिखाई दे जा रही थी। मानसून के पहले की इस
तरह की बारिश को आम्र वर्षा कहते हैं।
दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....।