Wednesday, January 11, 2012

चुनाव आयोग का डंडा, नेताओं पर शिकंजा

पिछले कई चुनावों के दौरान भारत की संवैधानिक संस्था चुनाव आयोग की कर्मठता और उसकी कार्यप्रणाली निःसंदेह काबिले तारीफ है। चुनाव आचार संहिता के लागू होते ही राजनीति के खुंखार शेर सहमे-सहमे से नजर आते हैं और उन्हे डर सताने लगता है कि कहीं उनकी दावेदारी खतरे में न पड़ जाये। मुझे याद है हमारे बचपन के दिनों में जब भी कोई चुनाव आता था तो महीनों पहले से ही प्रत्याशियों के दौरे प्रारंभ हो जाते थे। लाउडस्पीकरों के शोर और नारेबाजी के तूफान में आमआदमी का जीना मुहाल हो जाता था। शहर की दीवारें और सड़के पोस्टरों और बैनरों से इस कदर ढ़क जाती थीं कि नीली छतरी को देखने के लिये जान हथेली पर रखना पड़ता था। देशी विदेशी मदिरा के दुकान पर चौबीसों घंटे मेला सा लगा रहता था। लेकिन शुक्र है चुनाव आयोग ने देर से ही सही लेकिन अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह किया और दो महीने के लिये ही सही, बिगड़ैल साड़ों के नथुनों में नकेल डाली तो सही। काश कि भारत की सरकार चुनाव आयोग जैसी ही होती।
दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....।

Monday, January 9, 2012

भोजन का अधिकार दिलायेंगे- राहुल गाँधी

 उत्तर प्रदेश के चुनावी महासंग्राम में विरोधियों के खेमें मे हुंकार भर रहे राहुल द्वारा मुस्लिम आरक्षण के बाद फेंका गया पासा भोजन की गारंटी का है। देवरिया में चुनावी सभा को संबोधित करते हुये उन्होने कहा कि रोजगार गारण्टी की योजना की भाँति भोजन के अधिकार का कानून बनाया जायेगा...जाहिर सी बात है कि जब सरकार सत्ता में आयेगी तब।
ध्यान से देखने से पता चलता है कि राहुल गाँधी के द्वारा दिये गये इस बयान में भारतीय जनमानस में व्याप्त आम सोच की झलक मिलती है। आमतौर पर हर नेता वही बोलता है जो जनता सुनना चाहती है।  जिससे सुनकर उसे अच्छा लगता है। अपनी सोच को राहुल जैसे नेता के मुँह से सुनकर जनता फूली नही समाती और एक बार फिर बेवकूफ बन जाती है अगले पाँच वर्षों तक बेवकूफ बने रहने के लिये। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली जनता जो सच्चे मायनों में गरीब है औऱ रोटी का जुगाड़ करने में ही उसका पूरा दिन निकल जाता है, वह रोटी के ऊपर कुछ सोच ही नही सकती । वह उसके जीवन की सबसे बड़ी समस्या और सबसे बड़ी महत्वाकांक्षा भी, जिसके पूरे होने के बाद उसके पास सोचने और करने के लिये कुछ नही बचता क्योंकि उसे उस लायक बनाया ही नही गया कि वह रोटी से ऊपर कुछ सोच सके।
विज्ञान कहता है कि मनुष्य के विकास के पीछे इसकी महत्वाकांक्षा बहुत बड़ा योगदान है जिसके फलस्वरूप उसे परिस्थितियों से लड़कर प्राप्त करने के साथ साथ उसे धीमे किन्तु मजबूत कदमों से आगे बढ़ने की प्रेरणा भी मिलती है। भारत की दो तिहाई जनता की महत्वाकांक्षा रोटी ही है इसलिये अगर जनता राहुल गाँधी उसकी यह महत्वाकांक्षा पूरी करने का वादा करते हैं तो भारतीय जनता उन्हे वोट क्यों न दे....।
दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....।

Thursday, January 5, 2012

भाजपा पर दाग, देश का दुर्भाग्य

माया की जूठन कमल पे आये,
भ्रष्टाचारी मंत्रियों को भाजपा गले लगाये,
गले लगाके भाजपा खूब करे सम्मान,
जैसे द्वार सुदामा के आये हों भगवान।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर साँप छछुंदर जैसी स्थिति में अपने आपको हमेशा पाने वाली भाजपा ने कुछ दिनों पहले ये साबित कर दिया कि, क्षणिक लाभ के लिये सभी पार्टियाँ देश औऱ जनता, दोनों से विश्वासघात करने में अपने कदमों को पीछे नही हटातीं। जिन मंत्रियों को बसपा ने लात मारकर निकाल दिया था उन्हे भाजपा ने गले लगाकर अपनी फटी तहमद में दो चार पैबंद और जोड़ लिये। उत्तर प्रदेश में पिछले पाँच वर्षों के दौरान भाजपा शीतलहर में उगने का प्रयास कर रहे सूरज की भांति जद्दोजहद करती नजर आयी और 2011 के शुरूआती दौर में अन्ना के आंदोलन से निकली चिंगारियों की सहयता से राजनीति के भँवर में डूबती उतरती अपनी नैया में ईंधन देने का प्रयास करते हुये 2012 के शुरुआत में ऐसे औंधे मुँह गिरी कि उसे बसपा के त़ड़ीपार मंत्रियों का दामन थामने के लिये विवश होना पड़ा। राजनीति के अखाड़े में मायके और ससुराल के बीच में झूलती नई नवेली दुलहिन की भाँति नेताओं का रूठना और मानना आम बात है लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इनका जमीर उन्हे रोकता है या नही। शायद नही रोकता तभी तो नटों की भाँति रस्सी पर चलते हुये इन्हे गिरने का कोई डर नहीं सताता क्यों हाथ में थमी बल्ली इन्हे गिरने में लगी चोट से बचाती है। अगर नेताओं में भय की लहर जगानी है तो इनके हाथ में थमी बल्ली को इनसे छीनना ही होगा।
दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....।

मतदान स्थल और एक हेडमास्टर कहानी   जैसा कि आम धारणा है, वस्तुतः जो धारणा बनवायी गयी है।   चुनाव में प्रतिभागिता सुनिश्चित कराने एवं लो...