जिस प्रकार बरसात के मौसम में साँप अपने बिल से बाहर निकलकर आस-पास के लोगों को डराने की कोशिश करता है और कोई फायदा न देखकर वापस अपने बिल में ही वापस चला जाता है उसी प्रकार महराजगंज में अतिक्रमण हटाने के प्रयास भी पानी वाले साँप के कुतूहल उत्पन्न करने के की कोशिश ही नजर आते हैं। हम सभी जानते हैं कि हमारे कस्बे में अतिक्रमण और जाम की समस्या बड़ी विकट हो गई है जिसकी वजह से आये दिन परेशानियाँ खड़ी हो जाया करती हैं। कुछ दिन पूर्व नगरपालिका वाले भारी भरकम पुलिस दस्ते के साथ अतिक्रमण करने वालों से जूझते नजर आये औऱ सड़क को उनके नाजायज कब्जे से निजात दिलाया। लेकिन मुहाने को साफ नहीं करा सके। यानि कि जिस चौराहे पर अतिक्रमण हटाने की सबसे ज्यादा जरुरत थी वहाँ कुछ हुआ ही नहीं। तहसील बिल्डिंग, चौराहे की कुछ दुकानों पर बुलडोजर नही चले। फलस्वरूप सड़कों पर कब्जे की दुबारा कोशिश शुरु हो ही गई।
दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....।
दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....।