Wednesday, August 1, 2012

एन डी तिवारी और एक बाप का पाप

जो तस्वीर दिखाई देती थी धुँधली, अब साफ है,
बड़े तिवारी जी रोहित शेखर के जैविक बाप हैं,
अभी ना जाने कितने रोहित कितने और तिवारी आयेंगे,
जो किसी वजह से अबतक पड़े हुये चुपचाप हैं।


भारतीय राजनीति के गलियारों में ना जाने कितने ऐसे बाप होंगे जिनके अनगिनत बेटे सड़कों पर धूल फाँक रहे होंगे। ये तो रोहित की हिम्मत और दिलेरी है जिसने 38 साल के बाद एन  डी तिवारी को यह स्वीकार करने के लिये मजबूर कर दिया कि वे उसके पिता हैं। पूरा घटनाक्रम एक नाटकीय स्वरुप लिये था जिसमें एन डी तिवारी ने लागातार कोर्ट के आदेश की अवमानना की, लेकिन कोर्ट ने बजाय किसी सख्त कार्यवाही के, तिवारी के प्रति हमेशा नरमी का व्यवहार किया। हाँलाकि यह सच है कि कोर्ट की दृढ़ता और रोहित के निश्चय के बाद ही यह फैसला सबके सामने आ सका है, वरना इस फैसले को गोपनीय रखने के लिये भी तिवारी की तरफ से कई नाकाम कोशिशें की गई।

यह घटना हमारे समाज के  दोहरे चरित्र का विशेष उल्लेखन है जिसमे मुखौटा लगाये लोगों की गिनती नही हो सकती। दिन के उजाले में सबकुछ साफ दिखता है लेकिन रात होते ही ना जाने कितनी जिन्दगिया  इन सफेदपोशों के फटे हुये कुर्तों में लाचारी में लग जाने वाली पैबंद बन जाती हैं जिनसे छुटकारा पाने का रास्ता बड़ा ही आसान होता है। पैबंद हटाना है तो, कमीज ही बदल दो।

किस तरह का समाज है जिसमें एक बाप अपने बेटे की छाया से दूर भागते हुये उसे अपना नाम देने से भी कतराता है। निश्चय ही हमारे समाज के विकास की गति उल्टी हो चुकी है जिसमें आगे बढने का मतलब है अपने आपको नीचे गिराना। जो जितना ही ऊपर बैठा दिखाई देता है , हकीकत में उसके पाँव  भ्रष्टाचार, अपराध, चोरी और बेइमानी में उतने ही ज्यादा धँसे हुये हैं। और जो सबसे बुरी बात है, उससे जान कर भी हम अंजान बनते जा रहे हैं। हम अपने समाज को क्या संदेश दे रहे हैं, ऐसे लोगों को सम्मान देकर उन्हे अपने शासन की बागडोर देकर। यकीनन हम यह मान चुके हैं कि ईमानदारी और सच्चाई जैसी सोच कूड़े के डिब्बे में फेंकने लायक हो गई है।




एन डी तिवारी और रोहित शेखर
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब साल 2008 में रोहित शेखर नाम के शख्स ने दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी डाल कर दावा किया कि वह एनडी तिवारी के बेटे हैं। रोहित ने दावा किया कि एनडी तिवारी उसके जैविक पिता है। रोहित ने यह भी आरोप लगाया कि तिवारी ने इस मामले को उजागर न करने के लिए उन पर दबाव भी डाला है।

रोहित के इस आरोप के बाद कोर्ट में मामले पर जिसके बाद से इस मामले की कई बार सुनवाई हो चुकी हैं।

अदालत ने 2009 में खुद को तिवारी का जैविक बेटा कहने वाले रोहित शेखर और उसकी मां उज्ज्वला शर्मा से भी परीक्षण के तहत क्रमश: रक्त का नमूना देने के लिए अदालत की डिस्पेंसरी में पेश होने को कहा।

रोहित के दावे को खारिज करते हुए तिवारी ने एकल पीठ के आदेश को उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी। खंडपीठ ने भी उनकी अपील को खारिज कर दिया। इस पर कांग्रेस नेता ने 28 फरवरी 2011 को शीर्ष अदालत में अपील दायर की।

इस बीच दिल्ली उच्च न्यायालय ने तिवारी से यह भी कहा था कि वह एक हफ्ते के भीतर जुर्माने के रूप में रोहित को 75 हजार रुपए प्रदान करें। उन पर यह जुर्माना अगस्त 2010 में इसलिए लगाया गया था क्योंकि उन्होंने रोहित के पितृत्व संबंधी वाद से एक पैरा हटाए जाने की मांग की थी।

दिल्ली न्यायालय ने 2011 अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि कांग्रेस नेता और मां-बेटे दोनों को हैदराबाद स्थित ‘सेंटर फॉर डीएएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोसिटक्स’ में डीएनए परीक्षणों पर होने वाला खर्च वहन करना होगा।

रोहित द्वारा दायर पितृत्व विवाद में दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने पिछले साल 23 दिसंबर को तिवारी से डीएनए परीक्षण कराने को कहा था ताकि वादी के दावे की सत्यता का पता लग सके कि वह तिवारी का जैविक बेटा है या नहीं।

पितृत्व विवाद में डीएनए परीक्षण से बचने के लिए तमाम कानूनी दांव-पेंच आजमाने के बावजूद वरिष्ठ कांग्रेस नेता नारायण दत्त तिवारी को सफलता नहीं मिल पाई और उन्हें एक जून 2011 को रक्त का नमूना देने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय की डिस्पेंसरी में आने का आदेश दिया गया, लेकिन तिवारी ने इस आदेश की अनदेखी की।

इस मामले में कई बार तिवारी को डीएनए टेस्ट के लिए आदेश दिया गया, लेकिन उन्होंने उसे नहीं माना तब अप्रैल 2012 में दिल्ली हाईकोर्ट में दो जजों की डिवीजन बेंच ने कहा कि अगर तिवारी खून के नमूने देने को तैयार नहीं होते तो पुलिस और प्रशासन की मदद ली जाए।

तिवारी ने सर्वोच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद देहरादून में अपने आवास पर 29 मई को डीएनए जांच के लिए अपने रक्त का नमूना दिया था।

हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स ने तिवारी, रोहित शेखर और उसकी मां उज्वला शर्मा की डीएनए जांच रिपोर्ट न्यायालय को सौंप दी थी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी की वह याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने अनुरोध किया था कि रोहित शेखर द्वारा दायर पितृत्व मामले में सुनवाई पूरी होने तक उनकी डीएनए जांच रिपोर्ट गोपनीय रखी जाए।

तिवारी द्वारा दिए डीएनए नमूने की रिपोर्ट पर न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल ने कहा कि डीएनए रिपोर्ट 27 जुलाई को न्यायालय में खोली जाएगी। तिवारी ने न्यायालय से यह भी अनुरोध किया था कि वह बंद कमरे में सुनवाई की अनुमति दे।

हैदराबाद के सेंटर फॉर डीएनए, फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक (सीडीएफडी) ने रोहित, उसकी मां उज्जवला शर्मा और उनके पति बीपी शर्मा की डीएनएन प्रोफाइलिंग तैयार की है। उसकी रिपोर्ट 27 जुलाई को बंद लिफाफे में न्यायमूर्ति के समक्षे पेश की गई।

न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल ने हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला में की गई तिवारी की डीएनए जांच के नतीजे की घोषणा खुली अदालत में की। रिपोर्ट के अनुसार, तिवारी कथित तौर पर रोहित शेखर के जैविक पिता और उज्ज्वला शर्मा कथित तौर पर उनकी जैविक मां हैं।

इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने के बाद एनडी तिवारी ने मीडिया को भेजे लिखित संदेश में कहा कि यह पूरा प्रकरण एक सुनियोजित षड़यंत्र है और इसे अपना निजी मामला बताते हुए मीडिया और जनता से इसे अनावश्यक तूल न देने की अपील की। वहीं, कांग्रेस ने इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए इसे तिवारी का निजी मामला करार दिया।

दिल से माफी मांगे तो बात है : डीएनए टेस्ट का नतीजा सार्वजनिक किए जाने से खुश उज्ज्वला ने कहा कि यह सचाई मुझे शुरू से मालूम थी, मगर आज दुनिया के सामने भी आ गई। उन्होंने कहा यह सच की जीत है। जब उनसे पूछा गया कि अब इस सच के बाहर आने के बाद आप चाहती हैं कि एनडी तिवारी आप से माफी मांगें, तो उन्होंने कहा,' मैं कुछ नहीं चाहती, जब तक कि उनके दिल से न निकले


दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....।

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