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सुहेब इलियासी अंजू के साथ |
यह उन दिनों की बात
है जब मैं हाइस्कूल का छात्र हुआ करता था और यदा कदा घरों में टेलीविजन सेट देवता
की मूर्ति की तरह विराजमान थे। मनोरंजन के नाम पर दूरदर्शन द्वारा प्रसारित किये
जाने वाले धारावाहिक थे और शनिवार-रविवार को ईंद के चाँद की तरह दिखाये जाने वाले
फिल्म। उस दौर में जब अपराध-भ्रष्टाचार टीवी पर सनसनी नहीं हुआ करते थे तब
दूरदर्शन पर एक साप्ताहिक अपराध कार्यक्रम शुरू हुआ जिसका नाम “इंडियाज
मोस्ट वांटेड” था। टी.वी. पर जो व्यक्ति इसकी एंकरिंग करता था वह
देखने में स्मार्ट, खुशमिजाज और अपराध पर पैनी नजर रखने वाला था। उस कार्यक्रम ने
कुछ ही प्रसारणों में पूरे भारत में अपनी एक पहचान बना ली। कहा तो ये जाने लगा कि
इस कार्यक्रम के प्रसारण में पुलिस को कई ऐसे अपराधियों को पकड़ने में सफलता मिली
जो काफी समय से उनकी गिरफ्त से दूर थे। हमारे जैसे किशोरों के लिये जो, सिविल
परीक्षा की तैयारी के सपने देखते थे,सुहेब इलियासी एक नायक की तरह था।
यू टर्न
धारावाहिक के प्रसारण के दरम्यान ही अचानक सन् 2000 में खबर आयी की इलियासी
की पत्नी अंजू की हत्या हो गई है और सुहेब को पुलिस ने अपनी ही पत्नी की हत्या के
आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। अफवाहें उड़ीं की सुहेब को फंसाया गया है और हमारे
जैसे बच्चों ने उनपर यकीन भी कर लिया। यकीन करने के अपने अधकचरे पूर्वाग्रह थे
जिनमें सबसे वजनदार यह था कि; चूँकि सुहेब ने भारत के सबसे बड़े अपराधियों को
पकड़वानें में मदद की थी इसलिये सत्ता के गलियारों में माफिया के जरिये पहुँचने
वाले लोगों ने नाराज होकर उसे फँसा दिया। काफी दिनों तक यह चर्चा चलती रही और
धीरे-धीरे यह मामला पर्दे के पीछे चला गया लेकिन कानून अपना काम करता रहा।
पूरा मामला-
सुहेब के पिता का नाम जमील इलियासी था जो आल इंडिया इमाम आर्गेनाइजेशन के मुखिया थे। सुहेब की मुलाकात
अंजू से जामिया मिलिया इस्लामिया कालेज में हुआ जहाँ दोनो मास कम्यूनिकेशन में
पढ़ाई कर रहे थे। दोनों में नजदीकियाँ बढ़ीं और मामला शादी तक पहुँचा। दोनों के
परिवारों ने नाराजगी जताई और नतीजन दोनों लंजन चले गये। उन्होने 1994 में कानूनी
शादी की। 1995 में अंजू ने एक बेटी आलिया को जन्म दिया। सुहेब को लंदन के एक टी वी
शो क्राइमस्टापर्स से इंडियाज मोस्ट वांटेड बनाने का खयाल आया और उसे पूरा करने के
लिये दोनों भारत आये। शो के पायलट एपीसोड्स में इसकी एंकरिंग अंजू ने की लेकिन आन
एयर होने के बाद सुहेब इसकी एंकरिंग करने लगा। इसके बाद अंजू वापस अपने भाई के पास
कनाडा चली गई। शो चलता रहा और इसी बीच सुहेब ने अंजू से वापस भारत आ जाने की गुहार
लगाई और अपनी कंपनी का नाम आलिया प्रोडक्शन रखा। इस कंपनी के 25 प्रतिशत शेयर
सुहेब ने अंजू के नाम पर कर दिये। अंजू के वापस आने के बाद दोनों ने दिल्ली में एक
फ्लैट खरीदा जिसको अंजू ने पूरे मन से सजाया। दोनों अपनी बेटी के साथ उसमे रहने
लगे और वहीं पर 10 जनवरी 2000 को अंजू को जख्मी हालत में हास्पिटल पहुँचाया गया और
उसकी मौत हो गई। शुरुआती दौर में सुहेब ने इसे आत्महत्या का मामला बताया और पुलिस
ने इसे मान भी लिया। अंजू के घरवालों ने भी सुहेब को निर्दोष मान लिया था।
केस में अहम मोड़-
इसी बीच रश्मि जो अंजू की बड़ी बहन थी और कनाडा में रहती थी उसने वापस आकर
पूरे केस को सुहेब के खिलाफ कर दिया। उसने अंजू की पर्सनल डायरी पुलिस के सुपुर्द
की जिसमें अंजू ने सुहेब के बारे में पूरे विस्तार से बताया था। यहीं नही मौत से
पहले रश्मि ही वह शख्स थी जिससे अंजू की अंतिम बार बात हुई थी। रश्मि ने कई ऐसी
बाते बताईं जिसे अंजू ने सिर्फ उसे बताया था। उसने बताया कि अंजू किसी तरह से सुहेब
से तलाक चाहती थी। इसके बाद पुलिस ने अपनी थ्योरी बदली और सुहेब के खिलाफ हत्या का
मामला दर्ज किया। केस चलता रहा और अंततः 20 दिसंबर 2000 में बीस साल बाद अंजू को
न्याय मिला और अदालत ने सुहेब को अंजू की हत्या का दोषी मानते हुये उम्रकैद की सजा
सुना दी।
नियत में खोट-
सुहेब ने जिस कार्यक्रम के जरिये पूरे भारत में वाहवाही बटोरी मूलतः वह
चोरी थी। उस वक्त में किसी को यह अंदाजा नहीं हुआ कि यह कार्यक्रम इंग्लैंड के
कार्यक्रम क्राइमस्टापर्स की नकल थी। जिस अंजू से उसने सारे घरवारों से लड़कर शादी
की वह शादी के कुछ महीनों के बाद ही अपनी बहन के साथ कनाडा रहने चली गई। जिस
कार्यक्रम के लिये उसने अपराधियों के बारे में जाँच पड़ताल की, उनकी कार्यशैली को
करीब से देखा और शायद अंजू की हत्या करने की प्रेरणा उसी से मिली।
जरूरी नहीं कि इंसाफ की बात करने वाला
इंसाफपसंद भी हो।