Sunday, October 5, 2014

BANG BANG!


 

कल रात बैंग बैंग देखा, नाइट ऐंड डे की कापी है, थोड़ा सा मसला बार्न अल्टीमेटम से भी लिया गया है। रितिक रोशन टाम क्रूज को को कापी करने में काफी हद तक सफल रहे हैं....कैटरीना कैमरून डियाज के पास भी नहीं फटक पाईं....। फर्स्ट हाफ ज्यादा प्रभावकारी है, सेकेण्ड हाफ रबर बैण्ड है। रितिक रोशन को डाल्फिन कम, शार्क की तरह समंदर में डाइव करते देखना पैसा वसूल है। कोहीनूर के आसपास लिखी गई कहानी में कोई नूर नही हैं। एक्शन लोकेशन, फोटोग्राफी ठीक ठाक हैं। कैटरीना का कैरियर ज्यादा लंबा खिंचने में संदेह के बादल मंडरा रहे हैं।


दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....।

Monday, August 18, 2014

सिंघम रिटर्न्स

कहानी: 'सिंघम रिटर्न्स' कहानी है बाजीराव सिंघम की जो कि मुंबई पुलिस का डीसीपी है। इससे पहले आपने फिल्म के प्रीक्वल 'सिंघम' में बाजीराव को अपराधियों के छक्के छुड़ाते देखा होगा। इस फिल्म में भी वह ऐसा ही करते हुए नजर आता है।

इस बार सिंघम और उसके साथी पुलिसवालों का पाला पड़ा है महाभ्रष्ट बाबा (अमोल गुप्ते) और उसके चेलों से जो जनता को मूर्ख बना रहे हैं। बाबा का पर्दाफाश करने में कई बार सिंघम को मुंह की भी खानी पड़ती है, मगर वह हार नहीं मानता।

क्या वह आदर्शवाद का चोला ओढ़े इस भ्रष्ट बाबा के चंगुल से भोली भाली जनता को मुक्त  करा पाता है? फिल्म की कहानी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है।

'सिंघम' से कितनी अलग है 'सिंघम रिटर्न्स'?
कारें हवा में उड़ना, ब्लास्ट होनारोहित शेट्टी की फिल्मों में यही देखने को मिलता है। सिंघम रिटर्न्स में भी उनकी वही चिरपरिचित शैली देखने को मिली है। वही पुराने फॉर्मूले हैं जो हम 'सिंघम'में देख चुके हैं।

फिल्म का लुक और फील भी 'सिंघम' के जैसा ही है। 'सिंघम रिटर्न्स' पहले भाग में थोड़ी स्लो और कहीं-कहीं बोरिंग हो जाती है मगर इंटरवल के बाद फिल्म रफ्तार पकड़ लेती है और आप बोर नहीं होते।

कैसा है निर्देशन?

निर्देशन के मामले में रोहित कुछ नया नहीं कर पाए। पुरानी फिल्मों के सारे हिट फॉर्मूले ही उन्होंने इसमें अपनाये हैं। जबरदस्त एक्शन, रोमांस, और एंटरटेनिंग फिल्में बनाने वाले रोहित को अब जरूरत है कुछ नया करने की वरना वो एक ही शैली में सिमटकर रह जाएंगे। हालांकि, फैमिली के साथ सुकून से बैठकर देख सकने वाली फिल्में बनाने में रोहित को कोई पीछे नहीं छोड़ सकता मगर तब भी वह इसे बरक़रार रखते हुए कुछ नए एक्सपेरिमेंट करें तो उनकी फिल्में और बेहतर हो सकती हैं और सिंघम रिटर्न्स के साथ भी कुछ ऐसा ही है।

कैसी है अजय-करीना की एक्टिंग?
इसमें कोई शक नहीं कि फिल्म का सारा दारोमदार अजय के कन्धों पर है। वह इस फिल्म की बैकबोन हैं। सिंघम में उनके रोल को दर्शकों ने इतना पसंद किया था कि इस फिल्म में भी उनके किरदार से एक्सपेरिमेंट करने या बदलाव करने में रोहित हिचकिचा गए।

एक्शन सीन्स में अजय बेहद जंचे हैं और उनकी एक्टिंग भी अच्छी है। करीना कपूर के लिए फिल्म में करने लायक कुछ नहीं है। करीना के हिस्से जितने भी सीन्स आए, उसमें वो जमी हैं। अजय के साथ उनकी केमिस्ट्री फ्रेश नजर आती है मगर पटकथा में करीना को जगह ही नहीं मिली। अमोल गुप्ते ने विलेन के रोल में उन्होंने जान डाल दी है। अमोल का साथ देने के लिए फिल्म में दमदार अभिनेता के तौर पर मौजूद जाकिर हुसैन ने भी कमाल का अभिनय किया है। फिल्म के सपोर्टिंग किरदार भी जमीन हैं।

बड़ा सवाल-क्या देखनी चाहिए फिल्म?

'सिंघम रिटर्न्स' एक एवरेज फिल्म है जिसमें जबरदस्त एक्शन है। साथ ही कलाकारों की बढ़िया एक्टिंग भी है। रोहित शेट्टी की फिल्मों पर पैसा खर्च करना वैसे भी घाटे का सौदा तो होता नहीं है इसलिए इस फिल्म को एक बार देख सकते हैं। फिल्म से ज्यादा उम्मीद न लगाएं और इसे सिर्फ एन्जॉय करें तो बेहतर है। जिन लोगों को 'सिंघम' पसंद आई थी, वह तो बेशक इस फिल्म को बहुत पसंद करेंगे।
साभार-दैनिक भास्कर

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