Sunday, April 30, 2017

माइलस्टोन हेरिटेज स्कूल

माइलस्टोन हेरिटेज स्कूल
लर्निंग विद सेन्स-एजुकेशन विद डिफरेन्स
पड़री रोड महराजगंज, उ.प्र. 273303
शिक्षा सतत चलने वाली एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सीखने वाले की उम्र कोई मायने नहीं रखती। विद्यालय एक ऐसा स्थान है जहाँ बच्चों को यह नहीं सिखाया जाता कि क्या पढ़ना है बल्कि यह सिखाया जाता है कि कैसे पढ़ना है। दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं पाता और विद्यालय का अधिकाँश समय इसमें ही बीत जाता है कि बच्चों को कैसे पढ़ना चाहिये। इस कड़ी में अध्ययन के व्यापक क्षेत्र को संकुचित करके मात्र विषयों के रटने तक ही सीमित कर दिया जाता है। यह विद्यार्थियों की क्षमता का वैसा ही दुरुपयोग है जैसे  आइंसटीन को पत्थर तौड़ने का काम दे दिया जाय या फिर रेस में दौड़ने वाले घोड़े को तांगे में जोत दिया जाय। उनकी कल्पनाशीलता को मात्र विषयों को पढ़ने और परीक्षा में कुछ उत्तर देने हेतु तैयार करने तक ही सीमित ना करके उसे ज्ञान के अनंत आकाश के एक छोर से दूसरे छोर को नापने के लिये उन्मुक्त छोड़ दिया जाय।
माइलस्टोन हेरिटेज स्कूल, लर्निंग विद सेन्स-एजुकेशन विद डिफरेन्स, पड़री रोड, महराजगंज का एकमात्र उद्देश्य यही है। इस संस्था का उद्देश्य ना तो व्यवसाय, ना ही किसी प्रकार की प्रतिष्ठा अर्जित करना है।
                                   
निदेशक/प्रबंधक
सुरेन्द्र पटेल

लघभग 18 सालों से अध्यापन कार्य से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़े रहने वाले सुरेन्द्र पटेल भूगोल विषय से परास्नातक और एडिटिंग में डिप्लोमा हैं। इन्होने लघभग दो दशक से शिक्षा, शिक्षार्थी और अध्यापन को करीब से देखा और समझा है। वर्तमान समय में शिक्षा के बदलते हुये परिवेश और विद्यार्थी के दिलो-दिमाग को बखूबी समझने वाले सुरेन्द्र पटेल भली-भाँति समझते हैं कि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था विद्यार्थी आधारित है। जिसमें बच्चों को पढ़ाई के प्रति जिज्ञासु बनाया जा सकता है बजाय इसके कि उन्हे विषयों को रटने के लिये मजबूर किया जाय। इन्होने शिक्षा के कुछ बेहद जरूरी सिद्धान्त बनाये हैं जिसमें प्रमुख है फाइव सी का सिद्धान्त।
इनकी नजर में अध्यापन बहुत ही चैलेन्जिंग कार्य है। इसमें विद्यार्थियों के सामने आपको अपनी सारी काबिलियत झोंकने की जरूरत होती है जिसके द्वारा आप उन्हे बता सकें कि आपकी उपयोगिता गूगल गुरू से कहीं ज्यादा है। एक अच्छा अध्यापक क्रिकेट में आलराउंडर की तरह होता है जो बैंटिंग, बालिंग और फील्डिंग तीनों जिम्मेदारी अच्छे तरीके से निभा सके। सुरेन्द्र पटेल विषयों के संदर्भ में न सिर्फ भूगोल, इतिहास, अंग्रेजी, हिन्दी, कला, कंप्यूटर बल्कि संगीत के क्षेत्र में आर्गन, सैक्सोफोन, बाँसुरी, खेल के संदर्भ में क्रिकेट, वालीबाल, शतरंज, बैडमिन्टन, लेखन के क्षेत्र में निबंध, कहानी, कविता इत्यादि में विशेष योग्यता रखते हैं।

माइलस्टोन हेरिटेज स्कूल

आपके पाल्य के लिये सबसे सही जगह क्यों?
यह एक ऐसा विद्यालय जहाँ आपके बच्चे को वे सारी सुविधायें मिलती हैं जो उसे सर्वांगीण विकास करने में सहायक होती हैं। इसके साथ ही साथ उसे अपने आपको निखारने का पूरा मौका मिलता है न सिर्फ एकेडमिक लेवल बल्कि क्रियेटिव लेवल पर भी। क्लासेज में उसकी बेसिक चीजों जैसे लिखावट और उच्चारण पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसके अलावा विद्यालय में अनेक ऐसी सुविधायें प्रदान की जाती हैं जो उसके विद्यार्जन और व्यक्तित्व विकास के लिये आवश्यक हैं।

1-फाइव सी
विद्यार्थियों के ओवरआल डेवलपमेन्ट के लिये माइलस्टोन हेरिटेज स्कूल इस सिद्धानत को फालो करता है जिसमें-
1.      क्यूरियसिटी
2.      क्रियेटिविटी
3.      कान्टिन्यूटी
4.      कान्फडेन्स
5.      कम्यूनिकेशन
पर ध्यान दिया जाता है। क्यूरियसिटी बच्चे की पहली अवस्था होती है जिसमें वह किसी चीज के प्रति जिज्ञासु बनता है। जिज्ञासा उसे अगले पड़ाव यानि क्रियेटिविटी की तरफ ले जाती है जिसमें वह उसे जानने या समझने के लिये अपने नजरिये का विकास करता है। उसके बाद कान्टिन्यूटी की अवस्था आती है जिसमें वह अपने नजरिये को अभ्यास के धरातल पर ले जाता है और उसे लगातार जारी रखता है जबतक कि उसे उसमें प्रवीणता ना हासिल हो जाये। इसके बाद कान्फडेन्स की स्थिति आती है जिसमें वह अपने द्वारा अर्जित किये गये ज्ञान को परखता है और खुद में आत्मविश्वास का संचार करता है जो उसे कम्यूनिकेशन के अंतिम अवस्था तक ले जाती है जिसमें वह अपने ज्ञान व कौशल को दुनिया के सामने प्रस्तुत करता है और सफल व्यक्ति बनता है।

2-इंग्लिश मीडियम
वर्तमान विश्व में अंग्रेजी विचारों के अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम है जिसके द्वारा एक व्यक्ति अपने ज्ञान को दूसरों के सामने प्रस्तुत कर सकता है। देखा गया है कि विद्यार्थी जब अपने शहर व जिले से बाहर निकलता है तो

अंग्रेजी न बोल पाना उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बनकर सामने आती है। इससे पार पाने के लिये माइलस्टोन हेरिटेज स्कूल में अंग्रेजी कम्यूनिकेशन का एक बेहतर माहौल बनाया गया है जिसमें बच्चा अंग्रेजी न सिर्फ पढ़ पाता है बल्कि उसे व्यवहार में भी लाता है।

3-को-एजुकेशन
पूरे विश्व में लैंगिक समानता समाज के विकास के लिये सबसे बड़ी जरूरत में से एक बन गई है। आजकल हर जगह महिलायें पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे चल रही हैं। विद्यालय में यह सोच विकसित करने के लिये माइलस्टोन हेरिटेज स्कूल में को एजुकेशन की व्यवस्था लागू की गई है जिसमें लड़के और लड़कियाँ साथ पढ़ते हैं और विकास के रास्ते तलाश करते हैं।

4-आडियो-विजुअल क्लासेज
कक्षाओं को विद्यार्थी आधारित और विषयों की समझ को सुगम बनाने के लिये माइलस्टोन हेरिटेज स्कूल में आडियो-विजुअल क्लासेज का व्यवस्था की गई है। इसके लिये कमरों में एल ई डी टीवी और इंटरनेट की व्यवस्था की गई है। एनिमेटेड कंटेन्ट को देखने के बाद बच्चा उसे आसानी से समझता है और लंबे समय तक उसे याद भी रख पाता है।

5-वीडियो लेसन्स
विद्यालय में कोर्स आधारित वीडियो, पावर प्वाइंट प्रजेन्टेशन बनाये जाते है और उन्हे टी वी के माध्यम दिखाया जाता है। इससे न सिर्फ उनका मनोरंजन होता है बल्कि उनका ज्ञान भी बढ़ता है।

6-एडवांस कंप्यूटर लैब
कंप्यूटर की पढ़ाई के लिये विद्यालय में एडवांस कंप्यूटर लैब की व्यवस्था की गई है जिसके द्वारा बच्चों को पाठ्यक्रम में शामिल चीजें तो पढ़ाई ही जाती है बल्कि उन्हे इंटरनेट, मीडिया और एनिमेशन की भी जानकारी दी जाती है।

7-लाइब्रेरी
बच्चों में पढ़ने की आदत विकसित करने के लिये एक पुस्तकालय की भी व्यवस्था भी की गई है जिसके द्वारा बच्चों को पाठ्यक्रम से इतर घर ले जाने के लिये मनोरंजक व ज्ञानवर्धक किताबें दी जाती हैं। बच्चे उसे पढ़ते हैं और पुनः विद्यालय को वापस कर देते हैं।

8-साइंस लैब
कक्षा 6 से बच्चों मे वैज्ञानिक अभिरूचि जागृत करने के लिये एक मिनी साइंस लैब की भी व्यवस्था की गई है।

9-फ्री कोचिंग
कोचिंग कल्चर समाप्त करने के लिये विद्यालय में शाम को एक्स्ट्रा क्लासेज चलती हैं जिसकी कोई फीस नही ली जाती है। इसमें विद्यार्थियों के होमवर्क, कठिन विषयों को पुनः पढ़ाना, खेलकूद इत्यादि शामिल हैं।

10-म्यूजिक, योगा क्लासेज
बच्चों में अन्य गुणों को विकसित करने के लिये विद्यालय में म्यूजिक, डांस और क्राफ्ट की कक्षायें चलती हैं। इससे उनमें आत्मविश्वास का संचार होता है और वे स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ पाते हैं।






11-अनुभवी अध्यापक
अध्यापन कार्य के लिये विद्यालय में अनुभवी अध्यापकों की न्युक्ति की गई है जो न सिर्फ उच्च शिक्षित हैं बल्कि समझदार और बच्चों की मानसिकता को भली-भाँति समझने वाले हैं।

12-वाहन सुविधा
दूर-दराज के बच्चों को विद्यालय ले आने और ले जाने के लिये विद्यालय में वाहन की व्यवस्था भी की गई है।

13- साउण्ड सिस्टम-
 विद्यालय में निजी साउण्ड सिस्टम और लाउडस्पीकर्स हैं जिसका उपयोग प्रतिदिन असेंबली के दौरान किया जाता है। बच्चे माइक में बोलते हैं जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।

माइलस्टोन हेरिटेज स्कूल
अब तक-
माइलस्टोन हेरिटेज स्कूल अपने पहले ही सत्र में अभिभावकों की उम्मीदों पर खरा उतरा है और अपने विद्यार्थियों के व्यक्तित्व में उन गुणों का विकास करने में सफल हुआ है जो उसे औरों से अलग बनाते हैं। समय-समय पर विद्यालय में विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक, रचनात्मक गतिविधियों का संचालन कराया जाता है जो विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का भरपूर मंच प्रदान करते हैं। इन गतिविधियों का खबरें जिले के प्रमुख अखबारों में सदैव छपती रहती हैं।

माइलस्टोन हेरिटेज स्कूल
नर्सरी से कक्षा 8 तक
पिछले सत्र में विद्यालय कक्षा चार तक कक्षायें संचालित करता था। इस सत्र में कक्षा 8 तक कक्षायें संचालित की जायेंगी। भविष्य में यह कक्षा 12 तक चलेगा जिससे यह सभी स्तर के विद्यार्थियों की सेवा करने में सक्षम होगा।

सत्र 2017-18 के लिये रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है। सीमित सीटे हैं अतैव शीघ्र करें।
रजिस्ट्रेशन के लिये संपर्क करें-
9125366128/8299844533
लाइक करें- www.facebook.com/mhsmrj
ईमेल करें- milstoneheritage@gmail.com




बाहुबली- 2

bahubali के लिए चित्र परिणाम
दो साल का इंतजार अंततः खत्म हुआ। बाहुबली 2 रिलीज हुई और रिलीज के पहले ही दिन इसने 100 करोड़ का आँकड़ा पार कर लिया जिसके पास पहुँचते पहुँचते ज्यादातर फिल्में हाफने लगती हैं।
कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा, यह सवाल सोशल मीडिया में दो सालों तक गूँजता रहा। लोगों की उत्सुकता इस फिल्म के प्रति दीवानगी के हद तक जा पहुँची। यहाँ तक कि मेरे विद्यालय में पढ़ने वाली एक लड़की ने बड़े ही गर्व से बताया कि वह 28 अप्रैल को गोरखपुर जा रही है बाहुबली 2 देखने। किसी फिल्म के प्रति इतना क्रेज, यह बताने के लिये काफी है कि उस फिल्म की कमाई कहाँ तक पहुँचेगी। फिल्म पंडित यह कयास लगा रहे हैं कि यह भारत की पहली फिल्म बन सकती है जो 1000 करोड़ रूपये की कमाई कर सकती है।
निःसन्देह पहली फिल्म हर मायनों में भारतीय फिल्मों से कई साल आगे रही थी। भव्य सेट, रिच कलर, शानदार सिनेमैटोग्राफी, अचंभित करने वाले ग्राफिक्स इन सबने मिलकर एक मायाजाल रच दिया था जिसके भीतर जाने पर दर्शक को कुछ याद नहीं रहता था। बाहुबली के कई सारे दृश्य ऐसे हैं जो अभी तक मानस पटल पर अंकित हैं लेकिन अफसोस कि बाहुबली 2 उस पैमाने पर खरी नहीं उतरी। हालाँकि यह फिल्म भी आम भारतीय फिल्मों से बहुत बेहतर है लेकिन इसमें पहले वाली बात नहीं।

कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा इसके जवाब में दर्शक किसी अकल्पनीय ताने-बाने की कल्पना कर रहे थे, लेकिन हकीकत में यह बहुत ही सतही साबित हुआ। शिवगामी देवी द्वारा अपने पुत्रमोह में कटप्पा को यह आदेश देना कि बाहुबली को मार दो अथवा वह उसे मार देंगी, बहुत ही बचकाना रहा। कटप्पा द्वारा बाहुबली को धोखे से मारने की बजाय प्रजा रक्षा के लिये उसके द्वारा खुद मौत के गले लगाने का निर्णय लेना और भी ज्यादा भावनात्मक प्रभाव पैदा करता।
दूसरे हाफ में भल्लाल के षडयंत्र इतने जल्दी-जल्दी घटित होते हैं कि किसी एक को भी एस्टाब्लिश करने का समय ही नहीं मिला।
शिवगामी देवी के चरित्र में इतनी जल्दी यू टर्न आना, अगले कुछ दृश्यों में बाहुबली को मारने का आदेश दे देना, खटकता है।  
जिस बाहुबली को पहली फिल्म में देवता समान दिखाया गया वह दूसरी फिल्म में अपनी व्यक्तिगत समस्याओं के चलते अपनी जान गँवा बैठा, अखरता है।
पहले फिल्म में अरब से आये हुये एक हथियार के सौदागर का चरित्र दिखाया गया है, जिसे सुदीप ने निभाया था, दूसरे फिल्म में उसके दुबारा लाने की पूरी गुंजाइश थी लेकिन उसे दरकिनार कर दिया गया।
पहली फिल्म में युद्ध के दृश्य हालीवुड फिल्मों को भी मात देते थे...वह आकर्षण इस फिल्म में नजर नहीं आया।
पहली फिल्म में महेन्द्र बाहुबली का चरित्र अमरेन्द्र बाहुबली के टक्कर का था, लेकिन इस फिल्म में उसका इस्तेमाल सही तरीके से नही हो पाया।

और भी कई चीजे हैं लेकिन हम अपने कमरे में बैठकर फिल्म मेकिंग को जज नहीं कर सकते। फिल्म बनाने में हजारों लोगों की मेहनत और समय लगता है और बाहुबली को बनाने में तो लाखों की मेहनत लगी होगी। इस फिल्म ने इतिहास बनाया है लेकिन जिससे आशा होती है अगर वह उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है तो एक टीस मन में रह ही जाती है। फिलहाल बाहुबली टीम को बधाई...।

मतदान स्थल और एक हेडमास्टर कहानी   जैसा कि आम धारणा है, वस्तुतः जो धारणा बनवायी गयी है।   चुनाव में प्रतिभागिता सुनिश्चित कराने एवं लो...