कल टीचर्स डे था...और
वाकई कमाल का था। सेन्ट जोसेफ्स स्कूल में ऐसा लग रहा था कि सारे विद्यार्थी मानों
प्रतिस्पर्धा कर रहे हों...अध्यापकों को केक खिलाने का, गिफ्ट देने का, मिठाई
खिलाने का...पूरा माहौल विद्यार्थीमय हो गया था। नन्हे-नन्हे हाथों में लिये हुये
पेन, रचनात्मकता का परिचय देते हुये स्वयं द्वारा बनाये हुये ग्रीटिंग
कार्ड...पूरा दृश्य कैमरे में कैद करने लायक था।

टीचर्स डे सलिब्रेट
करने की कवायद शुरु की गई कक्षा 8 के विद्यार्थियों के द्वारा, जब पूरे विद्यालय में ये बात फैल गई कि वे पाँच
मंजिला केक मँगाने जा रहे हैं। खबर मिलने की देरी थी, सभी ने टीचर्स डे मनाने की
योजना बना ली...केक पाँच मंजिला ना हुआ तो क्या हुआ...खिलाने के लिये एक टुकड़ा ही
काफी है। आनन-फानन में सारे क्लासेज में पैसा इकट्ठा हुआ और तैयारी शुरु हो गई। कल
सुबह से ही सारे क्लासेज के बच्चों ने अपने-अपने क्लासेज को भरसक सुंदर सजाने का
कार्य किया लेकिन इन सबके बीच कक्षा 8 के विद्यार्थियों ने अपनी लगन और मेहनत की बदौलत
बाजी मार ली। उन्होने अपनी कक्षा को वाकई बहुत सुंदर तरीके से सजाया लेकिन इसके
साथ ही साथ सेलिब्रेट करते वक्त क्लास को सुंदर सजाने और केक ऊँचा मँगाने की
अहंभावना से वे बच ना सके और उन्होने अपनी खुशी को अपने गले के माध्यम से व्यक्त
करना उचित समझा, लिहाजा शोर भी बहुत हुआ।
कक्षा तीन के
विद्यार्थियों ने शालीन तरीके से केक काटकर अपने कक्षाध्यापक को खिलाया और शांत
तरीके से सेलिब्रेट किया हालाँकि बहुत सारे बच्चे अन्य अध्यापकों को गिफ्ट देने और
केक खिलाने के प्रयास में पूरे विद्यालय में दौड़ते देखे गेये। कक्षा चार के विद्यार्थियों
के कक्षा को भरसक तरीके से सुंदर सजाने का प्रयास किया और कक्षाध्यापक को केक
खिलाकर सुंदर तरीके से सेलिब्रेट किया। लाउड तरीके से टीचर्स डे सेलिब्रेट करने के
मामले में कक्षा पाँच के विद्यार्थी भी पीछे नही रहे, अपने कक्षाध्यापक के हाथों
केक कटवाकर खिलाने के दौरान कक्षा पाँच में प्रसन्नता के साथ-साथ अव्यवस्था भी
देखने को मिली। कक्षा 6 और 7 के विद्यार्थियों ने कमोबेश शांत तरीके से मनाया और
कक्षाध्यापकों के हाथों केक कटवाया। कक्षा 9 के विद्यार्थियों ने सम्मिलित रूप से
सारे अध्यापकों की मौजदूगी मे अपने कक्षाध्यापक मिस्टर मनोज गुप्ता से केक कटवाया
और उन्ही के हाथों से सभी अध्यापकों को खिलवाया भी।
टीचर्स डे सेलिब्रेशन
के मामले में सबसे सुंदर और यादगार तरीका अपनाया कक्षा 10 के विद्यार्थियों ने।
परंपरागत तरीके से उन्होने डा. राधाकृष्णन की प्रतिमा पर माल्यार्पण कराकर और उसके
बाद अगरबत्ती जलवाकर सारे अध्यापकों को पुष्पार्पण करने के लिये आमंत्रित किया। अध्यापकों
द्वारा प्रेरणा के दो शब्द कहे जाने के बाद उन्होने जलपान कराया और उसके बाद एक
मजेदार कार्यक्रम कराया जिसमें मेज पर पड़ी हुई पर्चियों में से, अध्यापकों द्वारा
एक-एक करके उठवाया और पर्ची पर लिखे हुये कार्यों के अनुसार हर अध्यापको से वह कराया
भी। शुरुआत हुई मनोज सर से जिनके हिस्से में मिमिक्री करने का दुरूह कार्य आ गया
जिसे करना उनके जैसे शुष्क और गंभीर अध्यापक के लिये एवरेस्ट पर चढ़ने जैसा था।
परिणामस्वरुप उन्होने अपने जीवन से संबंधित अनुभव सुनाना ही बेहतर समझा और
विद्यार्थियों का मनोरंजन किया। उसके बाद बारी आयी पवन सर की जिन्होने पर्ची के
अनुसार एक सुंदर भजन सुनाया। मनमीत सर के हिस्से में मजेदार काम, डांस करना आया
जिसे उन्होने स्लो मोशन डांस करके बखूबी पूरा किया। कृष्णा सर ने ऋषभ की एक्टिंग
करके खूब वाहवाही लूटी और मैने पर्ची के अनुसार अपने प्रिय अध्यापक के बारे में
संस्मरण सुनाया। इसके बाद बारी आयी जार्ज सर की जिन्होने हार्स राइडिंग का सुंदर
नमूना प्रस्तुत किया जिसे देखकर लगा कि वाकई केरल के अध्यापकगण अध्यापन में
शारीरिक क्रियाकलापों द्वारा कक्षा के बोझिल माहौल को हल्का करके, अध्ययन में रुचि पैदा करने की विशेष योग्यता
रखते हैं। दीपक सर के हिस्से में जोक सुनाने का अत्यंत आसान कार्य आया जिसे वह
पूरा नही कर सके, पर उन्होने भविष्य में चुटकुला सुनाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री
करने का वादा जरूर किया। इसके बाद विद्यार्थियों के द्वारा अध्यापकों को उपहार
भेंट किये गये और इसके बाद कार्यक्रम का समापन हुआ।
निसंदेह यह एक
सराहनीय प्रयास था जिससे विद्यार्थियों ने
बहुत कुछ सीखा होगा, क्योंकि इस कार्यक्रम के आयोजन में विद्यार्थियों ने किसी भी
अध्यापक का कोई सहयोग नहीं लिया था। यह उनका दिन था और उन्होने इसको यादगार बना
दिया।
दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....।