Thursday, March 26, 2020

कोरोना का कहर- 21 दिनों का लाकडाउन

साभार-जागरण जोश
19 मार्च को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता को संबोधित करते हुये 22 मार्च रविवार को जनता कर्फ्यू का ऐलान किया था। उन्होने कहा था कि हर भारतीय सुबह सात बजे से रात के 9 बजे तक अपने घर में रहे। कोरोना से लड़ने में डाक्टर, नर्सेज, पैरामेडिकल स्टाफ के योगदान की प्रशंसा करते हुये उन्होने कहा कि सभी लोग शाम के 5 बजे अपने घरों के बाहर उन लोगो का अभिवादन ताली, थाली इत्यादि बजाकर करें। 22 मार्च को प्रधानमंत्री के अपीलानुसार सभी भारतीय अपने घर में रहे और शाम को सभी ने कोरोना वीरों का अभिवादन किया।
इन सबके बावजूद रविवार, सोमवार को कोरोना के मरीजों में बढ़ोतरी देखी गयी जिसके बाद प्रधानमंत्री ने मंगलवार रात के आठ बजे जनता को संबोधित करते हुये पूरे भारत में 21 दिनों का लाकडाउन घोषित कर दिया। प्रधानमंत्री जी ने कहा कि जनता को कोरोना से बचाने के यह कठोर कदम उठाना पड़ा। उन्होने भारतवासियों से अपील किया कि 21 दिनों के लिये सभी अपने घरों में रहे और लाकडाउन का पालन करें।
आज 26 मार्च दिन के 12 बजे तक कोरोना मरीजो की संख्या 665 पहुँच गई है। इनमें से 43 मरीज ठीक हो चुके हैं और 11 मरीजों की मौत हो चुकी है। भारत सरकार और उसकी स्वास्थ्य एजेंसिया दिन-रात एक करके कोशिश कर रही हैं कि कोरोना को स्टेज 2 पर ही रोककर रखा जाय और इसे कम्यूनिटी में फैलने न दिया जाय। हाँलाकि पूरे देश में लाकडाउन घोषित कर दिया गया है लेकिन भारत जैसे विशाल देश जिसकी जनसंख्या 130 करोड़ के आसपास है, वहाँ एकाएक जनजीवन को हाल्ट पर नही डाला जा सकता। इसलिये पिछले दो दिनों में देश के हर कोने से लोगों द्वारा लाकडाउन के हल्के-फुल्के उल्लंघन की खबरें आ रही हैं। प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्ती से पेश आने का ऐलान कर दिया है। पुलिस अपने स्तर से थोड़ी सख्ती बरत भी रही है। सोशल मीडिया पर आने वाले वीडियोज में पुलिस ऐसे लोगों पर लाठियाँ भाँज रही है।
भारत में कोरोना वायरस और बीमारी के बारे में कोई आथेंटिक सूचना स्रोत न होने की वजह से लोग इधर-उधर से कापी पेस्ट की हुई जानकारी सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं। इसे देखते हुये सरकार ने एक साइट लांच की है जिसपर कोरोना से संबंधित हर प्रकार की जानकारी मौजूद है।
उपरोक्त साइट पर भारत में कोरोना का हर अपडेट मौजूद है जिसे हर चार घंटे में अपडेट किया जा रहा है। हर भारतीय को चाहिये कि कोरोना से संबंधित जानकारी के लिये इसपर मौजूद जानकारी पर ही भरोसा करें।
लाकडाउन का महत्व-
आज जबकि पूरा विश्व कोरोना के प्रहार से कराह रहा है। भारत कतई नहीं चाहता कि उसकी स्थिति दूसरे देशों जैसी हो। इसके लिये हर प्रयास किये जा रहे हैं। 21 दिनों का लाकडाउन इसी कड़ी में प्रयास है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा था कि यदि हमने इन 21 दिनों में सावधानी नहीं बरती तो भारत मे 21 साल पीछे चला जायेगा। इसलिये हर भारतवासी का यह कर्तव्य है कि वह लाकडाउन का पूरी गंभीरता से पालन करें। प्रधानमंत्री ने कहा था कि उन्होने यह फैसला मेडिकल फील्ड के विशेषज्ञों से बातचीत करके लिया है। जिनका कहना था कि कोरोना वायरस को हवा में से पूरी तरह खत्म होने में तीन हफ्ते तक का समय लग सकता है। जिसके मद्देनजर 21 दिनों का लागडाउन घोषित किया गया है।
लाकडाउन से होने वाली परेशानियाँ-
वहीं दूसरी ओर अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ यह आशंका जता रहे हैं कि इतने ज्यादा दिनों तक लाकडाउन के समय में भारत में अनेकों प्रकार की परेशानियाँ खड़ी हो सकती हैं-
1-भारत की ज्यादातर जनसंख्या गरीब है जो अपने रोजगार के लिये दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर करती है। लाकडाउन के समय में उनके रोजगार का संकट पैदा हो जायेगा और उन्हे भोजन प्राप्त करने की समस्या उत्पन्न हो जायेगी।
2-भारत की ज्यादातर कामगार जनसंख्या असंगठित क्षेत्र में है। कई महीनों से कारखानों में बंदी की स्थिति है जिससे इन कामगारों की नौकरी जा चुकी है। यह सभी अपने घरों को लौट चुके हैं जहाँ पहले से ही समस्यायें मौजूद है। ऐसे समय में उन्हे अपने घर का खर्च चलाना मुश्किल हो जायेगा।
3-यह लाकडाउन ऐसे समय में किया गया है जहाँ एक और वायरस का खतरा है तो दूसरी ओर लोगों के घरो में खाने-पीने की चीजों की किल्लत है। ऐसे समय में कानून-व्यवस्था को बनाकर रखना भी बहुत बड़ी चुनौती है। यदि जनता में खाने-पीने की चीजों की किल्लत नाकाबिले बर्दाश्त हद तक हो जाती है तो लूट-पाट की नौबत भी आ सकती है।
आशंकायें-
कुछ लोगों का यह मानना है कि भारत ने यह लाकडाउन देर से किया है और भारत में कोरोना मरीजों की संख्या में कमी इसलिये देखी जा रही है क्योंकि यहाँ मरीजों का टेस्ट बहुत कम किया गया है। चूँकि भारत में अभी कोरोना टेस्ट किट बहुत स्तरीय नहीं है इसलिये इसकी विश्वसनीयता पर बहुत ज्यादा यकीन भी नहीं किया जा सकता है। कुछ लोगों का विचार है कि अगले 15 मई तक भारत में कोरोना के मरीजों की संख्या कई लाख हो सकती है। कुछ लोग भारत सरकार पर निम्नलिखित सवाल उठा रहे हैं-
1-भारत ने शुरुआती दौर में अपना ध्यान चाइना, नेपाल और जापान जैसे पूर्वी देशों पर ही रखा और पश्चिमी देशों जैसे ब्रिटेन, इटली, फ्रांस इत्यादि से आने वाले यात्रियों पर नजर नहीं रखी। भारत में ज्यादातर कोरोना वायरस के केसेज इन्ही देशों से वापस आये मरीजों द्वारा फैले हैं।
2-भारत में अंतर्राष्ट्रीय विमानों के आवागमन पर रोक बहुत देर बाद लगाई गयी। उस समय तक ज्यादातर लोग वापस आ चुके थे जिनकी वजह से शुरूआती संक्रमण हो चुका था।
3-भारत ने लाकडाउन करने में देर कर दी है।
4-मुंबई, दिल्ली, गुजरात इत्यादि से वापस आने वाली वो कामगार जनसंख्या जो बिना किसी जाँच-पड़ताल और टेस्ट के, वापस अपने घर, राज्य में आ चुकी है, वे कोरोना के सबसे बड़े कैरियर के रूप में हो सकते हैं, जिनकी वजह से बीमारी के फैलने का खतरा सबसे ज्यादा हो सकता है।
अभी तक-

फिलहाल हम प्रार्थना कर सकते हैं कि भारत में कोरोना उस स्तर तक न पहुँचे जहाँ से इसे संभालना नामुमकिन हो जाये। 
दस्तक सुरेन्द्र पटेल निदेशक माइलस्टोन हेरिटेज स्कूल लर्निंग विद सेन्स-एजुकेशन विद डिफरेन्स

Tuesday, March 24, 2020

कोरोना का कहर


दिसंबर 2019 के महीने में चीन के वुहान शहर में एक रहस्यमयी साँस की बीमारी ने लोगों को अपने चपेट में लेना शुरु किया। जिस डाक्टर के पास उस बीमारी के मरीज सबसे पहले पहुँचे उसने अपनी सरकार को  इसके बारे में बताया लेकिन किसी ने उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। कुछ दिनों के बाद वह डाक्टर भी उस बीमारी के चपेट में आ गया। उसने एक वीडियो बनाया और इस बीमारी के बारे में लोगों को आगाह किया। स्थिति बिगड़नी शुरू तब हुई जब इस संक्रामक बीमारी ने तेजी से अपना पैर पसारना शुरू किया और देखते ही देखते चीन की एक बड़ी आबादी इस बीमारी के चपेट में आ गई। चीन का वह राज्य जहाँ यह बीमारी सबसे पहले फैली उसका नाम था हुबोई, और शहर था....
वुहान......।
जनवरी आते-आते वुहान में प्रतिदिन सैकड़ों लोग मरने लगे। फरवरी में सरकार ने हुबोई प्रांत को लाकडाउन कर दिया। हमारे यहाँ अखबारों में खबर छपी कि...चीन न अपने राज्य हुबोई को उसके हाल पर छोड़ दिया है और देश के बाकी हिस्सों से उसे काट दिया है, न कोई वहां जा सकता है, और न ही कोई वहाँ से आ सकता है। जब मैंने यह खबर पढ़ी तो हालीवुड फिल्मे जैसे कि डूम्स डे याद आ गई जिसमें रहस्यमयी बीमारी की वजह से एक शहर को बंद कर दिया जाता है।
यह वह समय था जब भारत में हम इन खबरों को मात्र पढ़कर मजाक में उड़ा रहे थे। सोशल मीडिया, व्हाट्सअप, ट्विटर इत्यादि पर चीन की स्थिति का मजाक पर मजाक उड़ाया जा रहा था। मास्क पहने लोगों, अपनी सुरक्षा के लिये विशेष ड्रेस से लैस लोगों पर तमाम कमेंट किये गये। शायद कोई नहीं जानता था कि भारत में भी ऐसी स्थिति जल्द ही आने वाली है।
चीन की यात्रा पर गये लोगों, वहाँ पर पढने के लिये गये छात्रों इत्यादि को जब इस बीमारी के बारे में पता चला तो  उनकी स्थिति चिड़ियाघर में फँसे उस व्यक्ति की भाँति हो गई जिसे अचानक ही पता चला कि चिड़ियाघर में एक नहीं,अनकों शेर पिंजड़ें से बाहर निकल गये हैं और किसी भी वक्त उन्हे अपना शिकार बना सकते है। आनन-फानन में सभी अपने देशों को वापस लौटने लगे और जाने अनजाने में रहस्यमय बीमारी को फैलाने वाले विषाणुओं के लिये कैरियर बनने लगे जिसका नाम था.....
करोना...19
चीन से निकले लोगों ने इस वायरस को विश्व के हर कोने में फैला दिया। सबसे बड़ी मार पड़ी विश्व की महशक्ति यूनाइटेड स्टेट्स आफ अमेरिका पर जिसका बहुत कुछ चीन पर निर्भर करता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इससे बचने की तैयारियों पर ध्यान देने के बजाय चीन को पानी पी-पीकर कोसने लगे। इस बीच कोरोना वायरस अमेरिका के बड़े हिस्से में फैल गया और इसके चपेट मे हजारों लोग आ गये और सैकड़ो लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी। वायरस के वजह से सबसे ज्यादा मौते इटली में हुई क्योंकि वहाँ के लोगों ने वायरस की भयावहता को हल्के मे ले लिया। पहले तो सरकार ने सामाजिक दूरी बनाने के आदेश देने में ही काफी देर कर दी, दूसरे लोगों ने इसे सैर सपाटे के अवसर के रूप मे लिया। जब वहाँ की सरकार ने लाकडाउन की घोषणा की तो लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और सपरिवार सार्वजनिक स्थानों पर घूमने के लिये जाने लगे। नतीजन आज की तारीख तक इटली में कोरोना वायरस की वजह से मरने वालो की संख्या 6000 के आसपास पहुँच गई है और हजारों की तादाद में लोग इससे प्रभावित हैं। इसके बाद जहाँ सबसे ज्यादा तबाही फैली है वह देश है ईरान। यहाँ भी मरने वालो की संख्या कई हजार में है। देश की सरकार ने अपने हाथ खड़े कर दिये हैं और तबाही रुकने के लिये जिससे दुआ की जा रही है वह ईश्वर।
इस समय पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं 130 करोड़ की जनसंख्या वाल देश भारत पर जहा वायरस अपने दूसरे स्टेज में पहुँचने के बाद तीसरे स्टेज में पहुँचने के लिये बेताब है और हमारे देश की सरकार, स्वास्थ्य एजेसिया और अधिकांश जनसंख्या उसे वहीं रोकने के लिये जी जान से जुड़ी है। भारत में पहला केस केरल में सामने आया जहाँ वुहान से लौटी एक छात्रा का टेस्ट पाजिटिव पाया गया था। पहला केस सामने आने के बाद आज 24 मार्च को पाजिटिव केसों की सं 500 के पास पहुँच गई है। मरने वालों की संख्या 10 के पास पहुँच गई है। सरकार ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का ऐलान किया था जो सफलतापूर्वक पूरा हुआ था।। आज देख के 548 जिलों को लाकडाउन कर दिया गया है। पंजाब, महाराष्ट्र में कर्फ्यू लगा दिया गया है। सरकार द्वारा लोगों से घरों में रहने की अपील की जा रही है। न मानने वालों के खिलाफ सख्ती दिखाई जा रही है, मुकदमे दर्ज किये जा रहे हैं। आज प्रधानमंत्री दुबारा देशवासियों को संबोधित करने वाले है। संभवतः जनता को अपने घरो में रहने के लिये अपील करेंगे। भारत में सबसे ज्यादा केसेज महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, दिल्ली, उ.प्र., कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश इत्यादि राज्यों में देखा गया है। प्रभावितों की बात करें तो यह भारत के लघभग हर राज्यों में फैल चुका है। उत्तर पूर्व के राज्य अभी इससे बचे हुये थे लेकिन आज मणिपुर में भी एक लड़की प्रभावित पायी गयी है जो हाल ही में ब्रिटेन से वापस आयी है। कुल मिलाजुलाकर अभी स्थिति यह है कि वायरस उन्ही लोगों में पाया गयाहै जो विदेश यात्रा से वापस लौटे हैं अथवा विदेश से वापस आये लोगों के संपर्क में आये हैं। सरकार की कोशिश यही है कि वायरस को इसी स्थिति में रोक दिया जाय अन्य़था स्थिति भयानक हो जायेगी। केन्द्र सरकार, राज्य सरकारें हर मुमकिन कोशिश कर रही है कि वायरस को आम जनता में फैलने से रोका जाय। इसे रोकने के लिये हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम सरकार के दिशा निर्देशो का पालन करें।

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के दौर में एक नागरिक के तौर पर हमारी जिम्मेदारी भी कम नहीं है। हमें चाहिये कि हम सरकार के अगले निर्देशों तक अपने घरो में रहें। सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचें। एक दूसरे के संपर्क में न आये। स्थिति की गंभीरता को समझें। इसे मजाक में तो बिल्कुल भी न लें...क्योंकि आप और हम सिर्फ ऐहतियात बरत सकते हैं, वायरस को अपने घरों में प्रवेश करने से रोक सकते हैं....लेकिन उसकी कल्पना बिल्कुल भी नहीं कर सकते हैं कि क्या होगा जब कोरोना-19 आपके और हमारे घरों में प्रवेश कर जायेगा। 
दस्तक सुरेन्द्र पटेल निदेशक माइलस्टोन हेरिटेज स्कूल लर्निंग विद सेन्स-एजुकेशन विद डिफरेन्स

मतदान स्थल और एक हेडमास्टर कहानी   जैसा कि आम धारणा है, वस्तुतः जो धारणा बनवायी गयी है।   चुनाव में प्रतिभागिता सुनिश्चित कराने एवं लो...