Monday, August 15, 2011

64वें स्वतंत्रता दिवस की ढ़ेर सारी शुभकामनायें....।

दिल से निकलेगी ना मरकर भी,
वतन की उल्फत,
मेरी मिट्टी से भी,
खशबू-ए-वतन आयेगी...।

आज के दौर में देशभक्ति की ये भावनायें और जज्बा उपभोक्तावाद संस्कृति तथा बाजारवाद के बोझ तले दबकर अंतिम साँसे गिन रही हैं जिसे पोषण की जरूररत है जो ईमानदारी की आँच से पककर ही निकल सकता है।

मतदान स्थल और एक हेडमास्टर कहानी   जैसा कि आम धारणा है, वस्तुतः जो धारणा बनवायी गयी है।   चुनाव में प्रतिभागिता सुनिश्चित कराने एवं लो...