दस्तक सुरेन्द्र पटेल
आज पूरी दुनिया में चारों ओर जानलेवा बीमारी कोविड-19 का खौफ छाया हुआ है। बच्चा-बच्चा आज इस बीमारी के बारे में जानता है। पूरी दुनिया में लाखों लोग इस बीमारी की वजह से जान गँवा चुके हैं।
दिनांक 22.05.2020 तक कोरोना के उपलब्ध आँकड़ेें निम्नवत हैं-
क्रम. | क्षेत्र | संक्रमित | उपचारित | मृत्यु |
1 | विश्व | 50.8 लाख | 19.4 लाख | 3.32 लाख
|
2 | भारत | 1.18 लाख | 48534 | 3583 |
स्रोत-विकीपीडिया
अर्थव्यवस्था तबाह-
यह बीमारी जिसकी वजह से भारत जैसे वृहद जनसंख्या वाले देश में पिछले दो महीने से लाकडाउन की स्थिति है। उद्योग धंधे बन्द हैं, आवागमन ठप है, व्यापार की कमर टूट चुकी है। आम आदमी के लिये भूखों मरने की नौबत आ चुकी है। सरकार धीरे-धीरे लाकडाउन में ढील दे रही है। लेकिन बीमारी से प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।
क्या यह मानव इतिहास की सबसे जानलेवा बीमारी है-
ऐसे में यह सवाल सहज ही दिमाग में आता है कि क्या यह बीमारी आज तक की सबसे खतरनाक बीमारी है जिसने इंसान को घुटनों के बल ला दिया है। क्या इससे बचने का कोई तरीका नहीं है। क्या इस बीमारी से मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। क्या इस बीमारी से दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका हार गया है।
जानते हैं कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में जो ज्यादा जानलेवा रही हैं और हैं भी-
बच्चे बीमारियों की चपेट में जल्दी आते हैं। क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली अविकसित होती है। उन्हे अपनी सुरक्षा के विषय में ज्यादा कुछ पता भी नहीं होता। बचने के उपायों के बारे में वो ज्यादा जागरूकता नहीं दिखाते। यह उनकी अवस्था का परिचायक होता है। तो सबसे पहले शुरू करते हैं बच्चों की कुछ बीमारियों से-
निमोनिया-
निमोनिया दुनिया में सबसे पहले कब डाइग्नोस हुआ था, इसके बारे में ठीक-ठीक नहीं पता। किन्तु इतना अवश्य है कि इस बीमारी की वजह से हर साल लाखों बच्चे मौत के मुँह में चले जाते हैं। पाँच साल तक के बच्चों में यह बहुत ही आम बीमारी है।
अविश्सनीय-
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में भारत में निमोनिया की वजह से एक लाख सत्ताइस हजार बच्चों की मौत हुई है। दूसरी ओर पूरी दुनिया में इस बीमारी की वजह से मरने वाले बच्चों की संख्या आठ लाख से ज्यादा है। यानि कि हर 39 सेकण्ड में एक बच्चे ने निमोनिया की वजह से अपनी जान गँवाई है।
ये
हैं शीर्ष पांच देश :
क्र.स. देश
मौतें
1. नाईजीरिया
1,62,000
2. भारत
1,27,000
3. पाकिस्तान
58,000
4. कांगो
40,000
5. इथोपिया
32,000
स्रोत-यूनिसेफ
निमोनिया से मरने वाले बच्चों की संख्या के मामले में भारत की स्थिति इतनी खराब है कि उससे ऊपर बस अफ्रीकन देश नाइजीरिया है, जहाँ के हालात बदतर हैं।
कोरोना से तुलना-
अगर बात करें कोरोना से तुलना की तो देश में कोरोना का पहला केस सामने आने के बाद कुल मामलों की संख्या लघभग 1,18000 है। मरने वालों की संख्या 3583 है। यूनिसेफ द्वारा प्रदान किये गये आंकड़े पर नजर डालें तो 2018 में लघभग 1,27000 बच्चे, सिर्फ बच्चे ही मरें हैं।
सबसे बड़ी समस्या-
स्वास्थ्य क्षेत्र में आने वाली नई चुनौतियों और सामने आने वाली नई बीमारियोे के बीच यह लघभग भूला जा चुका है कि निमोनिया भी एक जानलेवा बीमारी है।
वजह सिर्फ इतनी है कि -
1-इससे मरने वाले वो बच्चें है जो अपने हक की आवाज नहीं उठा सकते हैं।
2-इससे मरने वालों बच्चों की संख्या धीरे-धीरे सामने आती है।
3-इससे मरने वाले बच्चे अविकसित और विकासशील देशों में रहते हैं।
4-इसकी वजह से लाकडाउन लगाने की नौबत कभी नहीं आती।
5-इसकी वजह से अर्थव्यवस्था को समग्र नुकसान नहीं होता।
सवाल-
पर क्या इसी वजह से निमोनिया जैसी घातक बीमारी से मरने वाले बच्चों की संख्या भारत में इसी तरह लाखों में रहेगी।