लिखना मेरा बचपन का शौक रहा है। सेकेण्डरी स्कूल और उसके बाद ग्रेजुएशन तथा पोस्ट ग्रेजुएशन के समय में मेरे इस शौक को कल्पना और उम्मीदों की गगनचुंबी उड़ान मिली और मेरे लेखन में गंभीरता आयी। सामने होने वाली किसी भी घटना, चाहे वो अच्छी हो या बुरी, मैं बिना प्रतिक्रिया दिये बिना नही रह पाता। मेरे लिखने की शुरुआती वजहों में से य़े वजह सबसे बड़ी है। डायरी लिखना मेरी आदत रही है जिसकी वजह से ब्लाग को शुरु करने का विचार मन में आया। हाँलाकि मैं जल प्रवृत्ति वाला आदमी हूँ जिसके जड़ में अस्थिरता एक प्रमुख गुण है। इसिलये 2008 में शुरू करने के बावजूद मैं अपने ब्लाग को वह दिशा और गति नही दे पाया। लेकिन अभी परिस्थितियों का लाभ लेते हुये मैं अपने ब्लाग को अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने का प्रयास अवश्य करूंगा।
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