Sunday, December 16, 2012

राशि और स्वभाव

मेष राशि: मेष राशि के व्यक्ति अत्यन्त ऊर्जावान होते हैं। लगतार कार्य करना इन्हें पसंद होता है। ये एक ही समय में कई कार्य करते हैं और किसी भी कार्य को पूरा नहीं कर पाते हैं, इसलिए एक समय में इनके कई काम अधूरे प़डे रहते हैं। ये जो भी कार्य शुरू करते हैं उसके तुरंत परिणाम की इच्छा करते हैं और ऎसा न होने पर कार्य को बीच में ही छो़ड देते हैं। आपके दिमाग में जल्दबाजी अधिक रहती है। किसी की कोई बात यदि आपको बुरी लग जाये तो आप तुरन्त नाराज हो जाते हैं, लेकिन मनाने पर तुरन्त मान भी जाते हैं। किसी बात पर बहुत देर तक स्थिर नहीं रह पाते हैं। जल्दी-जल्दी विचारों में परिवर्तन होता रहता है। खाना जल्दी-जल्दी खाते हैं। तीखा और मसालेदार भोजन अधिक पसन्द करते हैं। पानी भी कम पीते हैं। पानी अधिक पीने की आदत डालिए। अन्यथा पित्त संबंधी समस्याओं से परेशान होंगे। मेष राशि के व्यक्ति बहुत साहसी होते हैं, किसी भी कार्य को करने से घबराते नहीं हैं लेकिन साहस प्रदर्शन कई बार विचारवान नहीं होता, बस अचानक ही विरोध या हमले करने की प्रवृत्ति रखते हैं। जो लक्ष्य अपने लिये ठान लेते हैं, उन्हें पाने के लिए मेहनत भी करते हैं और उसे पा लेने के बाद ही चैन से बैठते हैं। आप बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी हैं और अपनी महत्वकांक्षा की पूर्ति के लिए प्रयास भी करते हैं। आपको अपने कार्यो में कोई भी रोक-टोक पसन्द नहीं होती है। 
आप स्वतन्त्रता से अपने कार्य करना चाहते हैं। आप किसी भी कार्य को शुरू करके नेतृत्व करना पसंद करते हैं, ना कि किसी और के प्रारंभ किये गये कार्य में समूह रूप में कार्य करना। जीवन में कितना भी कठिन समय क्यों न आ जाये, आप घबराते नहीं है। आप बिना पूर्व योजना के कार्य करते हैं और निर्णय लेते हैं, जल्दबाजी में लिए गये निर्णयों के कई बार खराब परिणाम भी आते हैं। आपको जो भी बात बुरी लगती है आप तुरन्त मुँह पर ही बोल देते हैं। किसी भी कार्य को सीखने या पाने की लगन आपमें होती है। अपने पास आये हर व्यक्ति की आप मदद करते हैं। आपमें आत्मविश्वास बहुत अधिक होता है। किसी भी कार्य की योजना पहले से ही आपके मस्तिष्क में रहती है लेकिन क्रियान्वयन के लिये समुचित योजना नहीं बनाते एवं उसके विभिन्न पहलुओं पर विचार नहीं करते।


वृषभ राशि: वृषभ राशि के व्यक्ति अत्यन्त सहन शक्ति वाले व कर्मठ होते हैं। यह किसी बात को जब तक सहन करते हैं, जब तक इनसे सहन किया जाता है, लेकिन जब कोई बात इनकी सहन करने की क्षमता से बाहर हो जाती है तो इनके अंदर का क्रोध का गुब्बार बाहर निकल प़डता है। ये व्यक्ति अत्यन्त मेहनती होते हैं। आप प्यार से कुछ भी करवा सकते हैं, लेकिन जबरदस्ती इनसे कुछ भी करवाना मुश्किल होता है। ये लगातार कई घंटों बिना थके काम कर सकते हैं।

हर सुन्दर वस्तु इन्हें अच्छी लगती है, अपने आसपास के वातावरण को व्यवस्थित रखना इन्हें पसंद होता है। अपने घर एवं ऑफिस में आधुनिक संसाधनों का ये उपयोग करते हैं। स्वयं का सजना-सँवरना भी इन्हें बहुत पसंद होता है। सोच-विचार करके योजनाबद्ध तरीके एवं पूर्ण लग्न से कार्य करते हैं। वृषभ राशि के व्यक्ति स्वभाव से, पर एक सीमा के बाद जिद्दी होते हैं अगर किसी बात पर ये अ़ड जाये तो फिर इनसे कुछ भी करवाना मुश्किल होता है। अपनी जिद के आगे ये यह भी नहीं सोचते हैं कि सामने वाला भी सही हो सकता है, जिसके बारे में ये अपने मन में जो छवि बना लेते हैं, उसे आसानी से नहीं बदलते हैं और यही स्वभाव इनके संबंधों को खराब करता है। 
ये व्यक्ति भविष्य को लेकर सदैव सकारात्मक सोच रखते हैं जैसे इनका स्वयं का नजरिया सकारात्मक होता है वैसे ही ये स्वयं से मिलने वाले निराश व्यक्ति के मन में भी आशा की किरण भर देते हैं। ये हर कार्य को मन लगाकर तथा पूरी लग्न से करते हैं लेकिन ये चाहते हैं कि इनके हर काम की प्रशंसा की जाये।
अपनी जिम्मेदारी को ये अच्छे से समझते हैं और उन्हें निभाते भी हैं। दूसरे की सहायता जी-जान से करते हैं। आप ऎश्वर्यशाली जीवन जीना पसंद करते हैं आप अपने जीवन को भरपूर जीते हैं। खान-पान में सात्विक भोजन ही पसंद करते हैं। आप सुख-सुविधाओं में रहना ही ज्यादा प्रसन्न रहते हैं। अभावग्रस्त जीवन जीने में आपको थो़डी समस्या आती है। आप अपनी परम्पराओं से बहुत अधिक जु़डे हुए होते हैं। आप अपनी परम्पराओं का पालन भी करते हैं और आधुनिक समाज के साथ भी चलते हैं। आपकी जीवनशैली आधुनिक समय के साथ ही बदलती रहती है।


मिथुन राशि: इनका मस्तिष्क सदैव गतिमान रहता है, प्रखर बुद्धि होती है। हर विषय को समझने की अद्भूत क्षमता होती है। कठिन से कठिन विषय को भी ये आसानी से समझ लेते हैं। अपनी बातों से आसानी से अपना काम ये निकलवा लेते हैं। इनकी वाणी अत्यंत प्रभावशाली होती है। आप मजाकिया स्वभाव के हैं, हमेशा खुश रहना एवं दूसरों को खुश रखना, वातावरण को खुशनुमा बनाये रखना आपके स्वभाव का विशेष गुण है। आपकी सामंजस्य स्थापित करने की क्षमता अद्भूत होती है। आप स्वयं को किसी भी माहौल में ढाल लेते हैं। हर उम्र के व्यक्ति के साथ रचनात्मक रूप से आप समय व्यतीत करते हैं, आपको कहीं कोई परेशानी नहीं होती है। आप बुद्धिमान है इसलिए योजनाएँ बनाते हैं और पूरा करने के लिए निष्ठा से कार्य भी करते हैं। आप खाली नहीं बैठ सकते हैं। हर समय कुछ ना कुछ करना आपका स्वभाव है। सी भी समस्या से घबराते नहीं है, बल्कि बुद्धिमत्ता से उसका समाधान निकालते हैं। 

मिथुन राशि द्विस्वभाव राशि है। यही लचीलापन आपके स्वभाव में स्प्ष्ट दिखाई देता है। जरूरत के अनुसार आप अपने को ढ़ाल लेते हैं व किसी से भी अच्छे संबंध बना लेते हैं। जिन लोगों को पसंद और जिन लोगों को नापसंद करते हैं आपके उनके साथ भी अच्छे संबंध होते हैं। आप मानसिक कार्य अच्छे से करते हैं। द्विस्वभाव राशि होने से आपके स्वभाव में स्थिरता व चलायमान व्यवहार का सुन्दर समन्वय होता है। वायु की भांति हर जगह विद्यमान रहना व एक जगह ना टिककर बैठने की आपकी प्रवृत्ति होती है। मिथुन राशि के जातक बुद्धिमान होते हैं इसलिए हर क्षेत्र का ज्ञान इन्हें होता है, अलग-अलग क्षेत्रों में ये प्रसिद्धि पाते हैं। मिथुन राशि के जातक अकेले नहीं रह पाते हैं, इन्हें एक दोस्त की कमी हमेशा महसूस होती है। एक बालक की ही भाँति हर चीज को सीखने एवं पाने की ललक आप में होती है। हर व्यक्ति का ध्यान आपकी ओर रहे यही आपकी इच्छा होती है।

कर्क राशि: चर राशि है इसलिए हर समय चलायमान रहना एवं किसी न किसी नये कार्य से जु़डे रहना इनका स्वभाव है। ये लगातार कई घंटों तक कार्य करते हैं, जिसका बुरा प्रभाव इनके स्वास्थ्य पर भी प़डता है। चन्द्रमा का प्रभाव राशि पर होने के कारण आप अत्यधिक भावुक होते हैं। हर व्यक्ति से आप स्नेह करते हैं। जिनके साथ आपका लगाव अत्यधिक होता है उनके लिए आप कुछ भी करने को तैयार रहते हैं और जिनके साथ आपकी शत्रुता हो उनको नुकसान पहुंचाने के लिए भी आप किसी हद तक जा सकते हो। आप जिनसे जु़डे होते हैं, उन्हीं की बात सुनना पसंद करते हैं, लेकिन वह गलत भी हो सकता है। इसी वजह से आपके निर्णय एक तरफा हो जाते हैं एवं कई बार गलत भी हो जाते हैं। हर बात को जानने - सीखने की इनकी जिज्ञासा प्रबल रहती है। गीत, संगीत के शौकीन होते हैं। 

आप जीवन को ऎश्वर्यपूर्ण तरीके से जीते हैं, लेकिन फालतू खर्चा नहीं करते हैं इसलिए कई बार कंजूस भी कहलाते हैं। कर्क राशि वाले व्यक्तियों को जल के नजदीक रहना अच्छा लगता है। 
आपको प्रकृति (नेचर)के निकट रहना भी पसंद होता है। जल संबंधी व्यवसाय/शिक्षा भी इस प्रकार के जातक के लिये उपयुक्त है। खान-पान में आपको ठण़्डी एवं जलीय वस्तुओं का सेवना करना पसंद होता है। ठण़्डी वस्तुओं के अधिक सेवन से आपको कफ संबंधी समस्याओं का सामना करना प़डता है। 
आपको ठण्ड से परहेज एवं अपने भोजन में गर्म वस्तुओं का सेवन अधिक करना चाहिए। आपके जीवन में अचानक किसी घटना से परिवर्तन आता है क्योंकि समय होने पर तो कर्क राशि वाले जातक कार्य को लेकर गंभीर नहीं होते, लेकिन जब आवश्यकता प़डती है और समय खत्म होता है तो ये कार्य को पूर्ण करने में जुट जाते हैं। 


सिंह राशि आपका स्वभाव स्थिरता लिये हुये होता है। आप आत्मविश्वास से पूर्ण रहते हैं। जो भी कार्य करते हैं, उसे अन्त तक पूरे उत्साह एवं आत्मविश्वास के साथ करते हैं। आपको शारीरिक कार्य से अधिक मानसिक कार्य करना पसंद होता है। राशि स्वामी सूर्य जोकि ग्रहों के राजा कहलाते हैं इन्हीं के अनुसार इन जातकों का स्वभाव होता है, ये नीतियाँ बनाते हैं और उन पर लोगों से कार्य करवाते भी हैं और स्वयं भी उनका पालन करते हैं। किसी भी कार्य में अनुशासनहीनता इन्हें पसंद नहीं होती है। स्वभाव से ये बहुत ही अनुशासनप्रिय होते हैं, जरा सी भी गलती इन्हें पसंद नहीं अथवा बर्दास्त नहीं होती है।

इस स्थिति में जब इन्हें क्रोध आता है तो उसे रोक पाना मुश्किल होता है। इन्हें वनों एवं पर्वतों पर घूमना पसंद होता है। जो बात कहते हैं, उस पर स्थिर रहते हैं। उच्चा स्तर के कार्य करना आपको पसंद होता है। अपने बराबर के स्तर के लोगों के साथ ही उठना-बैठना आप पसंद करते हैं। कार्य कोई भी हो सिंह राशि के जातक घबराते नहीं है, उन्हें ये विश्वास होता है कि ये इसे अच्छे से कर लेंगे और ये ऎसा ही करते हैं। ये सबके प्रति दयालु होते हैं किसी को कोई भी कष्ट हो उसकी मदद के लिये ये हमेशा तैयार रहते हैं। सबको संरक्षण देना इनका स्वभाव है। संगीत एवं साहित्य के ये प्रेमी होते हैं। ये अत्यंत महत्वाकांक्षी होते हैं। अपनी महत्वकाक्षाओं की पूर्ति के लिए आवश्यक मेहनत भी करते हैं। अपने लक्ष्यों की प्राçप्त के लिए पूरी लग्न से कार्य करते हैं। सिंह राशि के जातक ऎसे तो किसी को कुछ नहीं कहते हैं लेकिन कोई इन्हें छे़डे, तो उसे ये छो़डते नहीं है। खान-पान में तीखा एवं राजसिक भोजन ही पसंद करते हैं। पानी कम पीते हैं। अधिक तीखा भोजन नुकसान देता है इसलिए थो़डा, सादा भोजन एवं पानी की मात्रा बढ़ायें। सिंह राशि के जातकों को किसी का भी किया गया कार्य जल्दी से पसंद नहीं आता है। जल्दी से किसी की भी बात से सहमत नहीं होते हैं। 

कन्या राशि : कन्या राशि के व्यक्ति सभी को साथ लेकर चलते हैं। सभी को खुश रखने का प्रयास करते हैं, जिसमें कई लोग इनसे नाराज हो जाते हैं। ये सबकी बातें सुनते हैं और सहन करते हैं, जब तक सहा जाये, सहते हैं, लेकिन अति होने पर जब क्रोधित होते हैं और बोलते हैं, तो इन्हें रोक पाना मुश्किल होता है। हर बात को गुप्त रखने की आपकी आदत होती है। आपसे यदि कोई बात की जाये तो वो आप तक ही सीमित रहती है। आप सबकी तकलीफ सुनते हैं और उसका समाधान भी करते हैं। लेकिन जब स्वयं को कोई तकलीफ होती है तो उसे किसी से नहीं कहते हैं। कोई कष्ट, कोई परेशानी हो तो सहन करते रहते हैं और जब सहनशीलता से बात ऊपर हो जाती है तो फिर आप किसी की परवाह नहीं करते हैं। राशि के स्वामी बुध होने से आप अत्यंत बुद्धिमान एवं कोमल स्वभाव के होते हैं। 

आपके स्वभाव एवं व्यवहार से कोई भी व्यक्ति आपकी ओर आसानी से आकर्षित हो जाता है एवं आपकी बातों से प्रभावित हुए बिना नहीं रहता है। अपनी वाणी के कौशल से आप मुश्किल से मुश्किल कार्य भी आसानी से बना लेते हैं, बोझिल वातावरण को भी हल्का-फुल्का बना देते हैं। बुध का प्रभाव होने से आप कई बार घर एवं परिवार के बीच बच्चों जैसी हरकते करते हैं और सब का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। लेकिन कई बार छोटे बच्चो की ही तरह जिद्दी भी हो जाते हैं। आपका मस्तिष्क चंचल होता है इसलिये अपने आसपास के वातावरण को खुशनुमा बनाये रखने में आपका पूरा-पूरा सहयोग रहता है। आप स्वयं को किसी भी वातावरण में आसानी से ढाल लेते हैं। कठिन से कठिन समय आने पर भी आप बिल्कुल नहीं घबराते हैं तथा उनका समाधान खोज ही लेते हैं और यही बात आपको औरों से अलग एवं साधारण से खास बनाती है। आपका मस्तिष्क सदैव गतिमान रहता है इसलिए आप किसी न किसी महत्वपूर्ण विषय पर योजनाएँ बनाते रहते हैं और उन पर कार्य करते रहते हैं।

तुला राशि: तुला राशि का जातक अपने रिश्तों, कारोबार और अपने संबंधों में सामंजस्य स्थापित किये रहता है। उसे किसी व्यक्ति से कोई शिकायत नहीं होती और जिससे मिलता है, उसके साथ उसी तरह का व्यवहार अपनाते हैं। ऎसे व्यक्ति थो़डे चंचल होते हैं और अच्छे व्यावसायिक साबित होते हैं। चीजों की खरीददारी में पैसे बचाना इन्हें बखूबी आता है। धैर्य और संयम से निर्णय लेते हैं और कार्य करते हैं। राजा के समान रहना अनुशासनात्मक जीवन इन्हें पसंद है। उन्हीं की तरह खान-पान, रहना, भोग-विलास की चीजों का इस्तेमाल करना इनकी दिनचर्या में शामिल होता है। ये लोग घूमने के बहुत शौकीन होते हैं। अपने विषय से हटकर कार्य करना इन्हें पसंद होता है। ऎसे व्यक्ति बहुत रचनात्मक होते हैं, गाने सुनना, गायन, वादन, नृत्य, कुकिंग, मेटिंग, एक्टिंग के क्षेत्र में अच्छा करते हैं।

इनके पहनावे और रहन-सहन को देखकर लोग आसानी से इनकी ओर आकर्षित हो जाते हैं और इनसे दोस्ती करना चाहते हैं। ऎसे व्यक्ति हास्य पसंद और खुश रहना और खुशी बांटना इनकी आदत होती है। ऎसे व्यक्ति अच्छे वक्ता और श्रोता साबित होते हैं। इन्हें अपनी तारीफ सुनना पसंद होता है। इन्हें फिजूल समय व्यतीत करना अच्छा नहीं लगता और जब भी समय मिलता है तो ये अपने शौक को पूरा करने के लिए जुट जाते हैं। 
एक से अधिक विषयों में इनकी रूचि होती है और सभी में अच्छा करने का प्रयास करते हैं। साहित्य में रूचि होने के कारण इनकी लेखन क्षमता भी अच्छी होती है और कभी-कभी लेखन से संबंधित कार्य भी करते हैं। अपने परिवार की जरूरतें पूरी करना और उनके साथ बिताने का मौका ये लोग कभी नहीं छो़डते। अपनी उम्र से छोटे दिखाई देते हैं और जहां भी जाते हैं वहाँ का माहौल रंगीन करना इनकी आदत होती हैं। इन्हें अधिक तला-भुना और मसालेदार खाने से बचना चाहिए अन्यथा नुकसानदेय सिद्ध हो सकता है। निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें।


वृश्चिक राशि: ऎसे व्यक्ति आसानी से अपने निर्णयों को नहीं बदलते। इनके जीवन और कार्यो में स्थायित्व होता है व स्वभाव से थो़डे से जिद्दी होते हैं। परन्तु कभी-कभी गलत बातें पर इनकी जिद्द घातक साबित होती है।

इन्हें अपनी इस आदत को बदलने का प्रयास करना है। इनके द्वारा लिये गये निर्णय जल्दी से नहीं बदलते। ये लोग कुछ भी भूलते नहीं और समय आने पर पर अपना बदला जरूर लेते हैं। ये लोग अपनी कार्यप्रणाली पर विशेष ध्यान रखते हैं। ऎसे व्यक्ति साहसी, पराक्रमी और निडर होते हैं। जिसका परित्याग ये समय-समय पर देते हैं। ऎसे व्यक्ति बहुत ऊर्जावान होते हैं। अगर इनकी ऊर्जा को सकारात्मक चीजों में लगा दी जाए तो ये लोग बहुत अच्छे पद पर पहुंच सकते हैं। ऎसे व्यक्ति पुलिस, सेना में जाने की चाह रखते हैं। ऎसे व्यक्ति परिणाम का इन्तजार लम्बे समय तक कर सकते हैं। इन्हें अधिक तला भुना, मसालेदार या अधिक समय तक भूखा नहीं रहना चाहिए, अन्यथा गैस या पित्त संबंधी परेशानी हो सकती है। अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें और पानी का सेवन बढ़ाने का प्रयास करें और भोजन समय पर करें। हर बात को अपने आत्म-सम्मान के साथ न जो़डे और दूसरों को समझने का प्रयास करना चाहिये। इन्हें बहुत जल्दी क्रोध नहीं आता और इन्हें समझाना थो़डा-सा मुश्किल होता है। इनके दिमाग में कुछ चल रहा है और ये सामने कैसे रिएक्ट कर रहे हैं, ये सिर्फ स्वयं ही जानते हैं। ये अपने शत्रुओं को पूरी रणनीति बनाकर खत्म करते हैं और अपनी गलती भी मान लेते हैं। इन्हें अपने क्रोध पर नियंत्रण रखने का प्रयास करना चाहिए व मानसिक अन्र्तद्वन्द्व से बचे। इस राशि के बच्चों को पहले ही किसी सही दिशा की ओर अग्रसर करें। जिससे उनकी ऊर्जा को सकारात्मक रूप मिल सके। 

धनु राशि: धनु राशि के जातक आध्यात्म, साहित्य, धर्म तथा शिक्षा के क्षेत्र से जु़डे हुए मिलते हैं। ऎसे व्यक्ति यथार्थवादी होते हैं। हमेशा किसी न किसी कार्य में व्यस्त रहते हैं। उन्हें खाली बैठना पसंद नहीं होता है। अपने लक्ष्य के प्रति सचेत रहते हैं। सबका ध्यान रखना इनकी विशेषता होती है। ये लोग साहसी और निडर होते हैं। परन्तु भगवान से डरने वाले होते हैं। आप गम्भीर स्वभाव के हैं और रूढि़वादी होने के कारण परम्परा और परिवार को अधिक महžव देते हैं। दूसरो को सलाह देना और मदद करना आपका मुख्य गुण है। दूसरो की मदद करते-करते कभी-कभी आप अपना नुकसान भी कर बैठते हैं। जिस कारण परिवार की नाराजगी भी सहन करनी प़डती है। सकारात्मक सोच के साथ कार्य करना पसंद है। मान-सम्मान अधिक प्रिय है, जिसके लिए कभी भी कोई समझौता नहीं करते। ज्ञान अर्पित करना और ज्ञान बाँटना पसन्द है। मार्गदर्शन करने में कभी भी पीछे नहीं हटते हैं। अपनी उम्र से ब़डी बातें करना अच्छा लगता है। 

आशावादी रहते हैं और धार्मिक कार्यो में लगे रहते हैं। चुपचाप बैठे रहते हैं और सबकी सुनते हैं। परन्तु जब प्रतिक्रिया करने की आवश्यकता महसूस हो, तभी करते हैं। ज्ञान अर्जित करने के लिए कोई भी जोखिम ले सकते हैं। नये प्रयोग और खोज करना इनकी आदत होती है। कभी-कभी इतने क्रूर हो जाते हैं कि किसी को जलाकर भस्म करने की क्षमता भी इनमें होती है। धनुष से निकले तीर कई तरह से, एक बार ढान लेने के बाद किसी की सुनते नहीं व जो मन में है, उसको करते हैं। यह न्यायप्रिय और ईमानदार होते हैं। अनेक भाषाएँ, गुप्त रहस्य विद्याएँ और दर्शन शास्त्र के भी ज्ञाता होते हैं। किसी भी कार्य को कर सकते हैं और अपनी योग्यता पर पूरा विश्वास होता है। कार्यो को समय पर पूरा करते हैं। दूसरो पर भरोसा करके निर्णय लेते हैं और सभी के हितैषी और मित्र बने रहना इन्हें अच्छा लगता है।

मकर राशि : मकर राशि के जातक स्वभाव से आलसी होते हैं, परन्तु अगर मन में दृढ़ निश्चय कर ले कि लक्ष्य हासिल करना ही है तो अपनी पूरी मेहनत और लगA से कार्य करते हैं। एकाग्रचित्त होकर कार्य करते हैं। ऎसे व्यक्ति महत्वकांक्षी होते हैं। धीरे-धीरे धैर्य और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते रहते हैं और इन्हें सफलता धीरे-धीरे मिलती है। जिस कारण ये कभी-कभी निराश भी हो जाते हैं। इन्हें धैर्य और संयम बनाये रखना चाहिए। अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए धन खर्च कर देते हैं और धन नहीं बचा पाते। स्वाभिमानी होने के कारण जल्दी से किसी की मदद नहीं ले पाते हैं। ये बिना रूके निरन्तर कार्यो में अग्रसर रहते हैं। सफलता देर से मिलती है। ऎसे व्यक्ति यथार्थवादी होते हैं, कठोर परिश्रमी होते हैं और ज्यादातर नौकरी करते हुए मिलते हैं। अनुशासनहीनता इन्हें बिल्कुल पसंद नहीं होती इसके लिए किसी का भी विरोध करने से नहीं चूकते। मानसिक परिश्रम, शारीरिक परिश्रम अधिक करते हैं। दूसरों को प्रेरणा देने का कार्य करते हैं। आध्यात्म से जु़डे रहते हैं। अपने बनाये हुए सिद्धान्तों का पालन करते और करवाते हैं। गलत बातों का विरोध सामने रहकर करते हैं, फिर अकेले ही क्यों ना हो। इन्हें अपने क्रोध पर नियंत्रण रखकर कार्य करना चाहिए और ज्यादा आलोचना नहीं करनी चाहिए। ऎसे व्यक्ति एकाधिकार चाहते हैं, जिसके लिए ये किसी की भी नहीं सुनते और अपने कार्यो में लगे रहते हैं। कभी-कभी ऎसा करना नुकसानदायक सिद्ध होता है। अपने से ज्यादा किसी पर विश्वास न कर पाने की वजह से इनके ज्यादा मित्रगण नहीं बन पाते हैं। परन्तु ये चंचल और शान्त स्वभाव के भी होते हैं। कठोर व्यवहार करना इनकी आदत होती है।

कुंभ राशि: ऎसे व्यक्तियों को बिना रूके कार्य करना तथा किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप पसंद नहीं होता है। इनके जीवन में ठहराव होता है। जल्दी से अपनी कार्यप्रणाली और आदतें परिवर्तित नहीं कर पाते। ऎसे व्यक्तियों के मित्र होते हैं और समूह में अच्छा कार्य करते हैं, परन्तु किसी से खुलकर बात नहीं कर पाते। ये थो़डे शर्मीले होते हैं। इसलिए अच्छे लेखक तो बन सकते हैं, परन्तु अच्छे वक्ता नहीं बन पाते। इन्हें खुलकर बात कहने का प्रयास करना चाहिए। विषयों की गहराई में जाकर सोचते हैं इसलिए नये प्रयोग और खोज करना इनकी मुख्य विशेषता होती है। सादगी और सरलता से कार्य करते हैं। व्यवहवार में कुशलता बनाये रखते हैं परन्तु जब क्रोध आता है तो जल्दी से शान्त नहीं हो पाते। कठोर परिश्रमी होते हैं, सफलता भी मिलती है। अपनी योग्यता को साबित करने के लिए अपनी पूरी मेहनत लगा देते हैं। अपने बनाए हुए सिद्धान्तों पर चलना इन्हें पसंद होता है। स्वयं तो उस पर चलते हैं और दूसरों से भी अमल कराते हैं। अपने किए हुए कार्यो का श्रेय लेने से भी बचते हैं। आध्यात्म के प्रति इनका रूझान होता है। दानी और उदार होते हैं। 

अनुशासनहीनता इन्हें पसंद नहीं आती और दण्ड देने से भी नहीं चूकते हैं। न्यायप्रिय होते हैं। स्वाभिमान कब अहम में बदल जाता है उन्हें खुद भी पता नहीं चलता। इसलिए इन्हें ऎसा करने से बचना चाहिए। परिणाम धीरे-धीरे मिलते हैं परन्तु धैर्य और संयम से कार्य करते हैं। लक्ष्य प्राçप्त के लिए प्रेरित करते हैं। शारीरिक श्रम कर लेते हैं, लेकिन मानसिक श्रम अधिक नहीं कर पाते। वातावरण को अपने अनुकूल बनाना इन्हें बखूबी आता है। सबको प्रसन्न रखना इनकी मुख्य आदत होती है। व्यवहार में नम्रता रखते हैं। परन्तु क्रोध आने पर सब भूल जाते हैं। संयम बनाये रखने का प्रयास करें। 

मीन राशि: ऎसे जातक उदारमन और परोपरकारी होते हैं। चंचलता व्यवहार का लचीलापन) हमेेशा बनी रहेगी, बच्चों के साथ बच्चो और ब़डों के साथ ब़डे बन जाते हैं। स्वभाव से शान्त दिखते हैं, परन्तु क्रोध आने पर स्वयं को रोक नहीं पाते। आध्यात्म और शिक्षा के क्षेत्रों से जु़डे हुए मिलते हैं। ज्ञाता होते हैं और अच्छे सलाहकार सिद्ध होते हैं। ईमानदारी से कार्य करते हैं। भावनात्मक तरीके से लोगों से जु़डे होने के कारण सम्मान मिलता है। पारम्परिक दृष्टिकोण से समझौता नहीं कर पाते। उच्चाकोटि की कल्पनाशील होते हैं और काव्य, साहित्य के प्रति विशेष रूचि दिखाते हैं, जिसके साथ या जैसे माहौल में रहते हैं, उसी के तरह बन जाते हैं। गम्भीर रहकर सोचते और बातें करना इन्हें पसंद होता है। ऎसे व्यक्ति अच्छे श्रोता और वक्ता साबित होते हैं। कार्यो में किसी प्रकार का समझौता पसंद नहीं होता।

 इनकी सोच और कार्यो में हमेशा नवीनता मिलती है। ईश्वर पर बहुत विश्वास रखते हैं। उसी कारण कभी किसी छल या कपट नहीं कर पाते और ईश्वर से डरते हैं। दर्शनशास्त्र इन्हें पसंद होता है। किसी बात को बहुत सरलता और अच्छी तरह से समझाते हैं। गुरूओं की भांति इनका स्वभाव होता है और स्वतंत्रता पसंद होती है परन्तु परिवार से दूर नहीं रह पाते और अपनी ज़डों को नहीं छो़डते। अकसर ये लोग अपने पारिवारिक व्यवसायों को आगे बढ़ाते हुए मिल जाते हैं। उत्साहित होकर कार्य करते हैं और किसी भी बाधा का डटकर सामना करते हैं। समय-समय पर अपनी योग्यता का परिचय देते रहते हैं। सम्मान को हमेशा बनाये रखने का प्रयास करते हैं। सभी के प्रति एक समान व्यवहार रखते हैं। प्रेम और दया का भाव इनके मन में हमेशा रहता है।


दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....।

Monday, September 17, 2012

बारिश


पिछले कई दिनों से लागातार बारिश हो रही है। मुझे याद है कि ऐसी बारिश अगस्त में हुआ करती थी। लेकिन मौसम में बदलाव और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से मौसम पेटियों में खिसकाव हो रहा है। 
कल फैजाबाद से एक दोस्त का फोन आया कि मौसम बहुत आशिकाना है, सोचा कि तुम्हे फोन कल लिया जाय। अपने कालेज के दौरान ऐसे मौसम में हम बहुत मजे किया करते थे। वाकई इस तरह का मौसस मजे करने के लिये ही होता है। बादल पूरे उत्तर भारत के आकाश में छाये हुये हैं और जल्दी जायेंगे, कुछ कहा भी नही सकता। लेकिन इन सब के बीच धान की फसल के लिये यह बारिश वरदान की तरह है। 
इस साल अगस्त का महीना बारिश के लिहाज से काफी सूखा रहा। पूरे महीने उमस और गर्मी की वजह से आम आदमी तड़पता रहा क्योंकि महराजगंज जैसे छोटे कस्बे में बिजली की सप्लाई का भगवान ही मालिक है और भगवान ने ही बारिश से वंचित कर दिया इसलिये आम जनता को काफी परेशानी हुई। लेकिन सितंबर का महीना काफी राहत लेकर आया। खासकर पिछला सप्ताह जिसमें रुक रुककर हल्की बारिश होती रही। 



दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....।

Sunday, September 16, 2012

राज ठाकरे और मुंबई में क्षेत्रवाद का जहर



(यह लघु लेख मैने दिल्ली में रहते हुये 19 जनवरी 2008 में लिखा था)
भारत में संविधान का माखौल उड़ाने के कई उदाहरण मिल सकते हैं। वर्तमान में उत्तर भारतीयों के प्रति मुंबई में अपनाई गई जातीय एवं क्षेत्रीय हिंसा इसमें अगली कड़ी साबित होती है।
संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को भारत में कहीं भी निवास करने, व्यवसाय करने, संपत्ति खरीदने अथवा धर्म संस्कृति या परंपराओं का निर्वाह करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है, और इन क्रिया कलापों में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न करना, संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन है। कहाँ एक व्यक्ति विशेष के अधिकारों का हनन ही एक गंभीर एवं संवेदनशील मसला है, और यहाँ तो हजारों उत्तरभारतीयों के मौलिक अधिकारों के हनन का प्रश्न है। पिछले दिनों समाचार पत्रों में खबर आयी थी कि आनन-फानन में मुंबई छोड़ने के क्रम में उत्तर भारतीयों ने खोलियाँ बावन हजार एवं साइकिलें 50 रुपयें में बेचीं।
यह प्रथम घटना नही है जब उत्तर भारतीयों के विरुद्ध सुनियोजित तरीके शारीरिक एवं मानसिक आक्रमण हुआ हो, यह भी नही है कि  मुंबई ही इसका अखाड़ा रहा हो। इसके अतिरिक्त पूर्वोत्तर, जम्मू कश्मीर, पंजाब इत्यादि में भी इसकी धमक सुनाई दे जाती है। यदि समग्र रूप में न देखें तो छिटपुट रूप में भारत के प्रत्येक कोने में उत्तर भारतीयों के प्रति दोयम दर्जे का नजरिया रखा जाता है । यह कुछ ऐसा वैसा ही प्रतीत होता है जैसा कि औपनिवेशिक भारत में गोरों व कालों के प्रति होता था। दक्षिण भारत इस मामले में अधिक उर्जावान है जहाँ उत्तर भारतीयों को हेय दृष्टि से देखा जाता है। विनोद का बात यह है कि राजधानी दिल्ली इस मामले में भारत के अन्य क्षेत्रों से प्रतिद्वंदिता करती है, जिसका अस्तित्व ही उत्तर प्रदेश पर टिका है।
यह मुद्दा मात्र मुंबई का नही वरन पूरे भारत का है। क्या उत्तर भारतीय सर्वत्र मात्र इसी वजह से तिरस्कृत किये जाते हैं कि ने हर जगह निम्न तबके से सम्बन्ध रखते हैं। ध्यान रखने योग्य बात यह है कि यदि उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग, मुंबई , पंजाब, हरियाणा, दिल्ली एवं अन्य राज्यों एवं शहरों से वापस आ जायें तो वहाँ की अर्थव्यवस्था चरमरा जायेगी। स्मरणीय है कि यदि उत्तर भारतीयों का कब्जा व्यापार, उद्योग इत्यादि पर रहता तो उनकी स्थिति इतनी ज्यादा खराब नहीं होती।
हम अभी भी औपनिवेशिक भारत में रह रहे हैं।
19-01-2008


दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....।

Thursday, September 6, 2012

टीचर्स डे और सेन्ट जोसेफ्स स्कूल में सेलिब्रेशन


कल टीचर्स डे था...और वाकई कमाल का था। सेन्ट जोसेफ्स स्कूल में ऐसा लग रहा था कि सारे विद्यार्थी मानों प्रतिस्पर्धा कर रहे हों...अध्यापकों को केक खिलाने का, गिफ्ट देने का, मिठाई खिलाने का...पूरा माहौल विद्यार्थीमय हो गया था। नन्हे-नन्हे हाथों में लिये हुये पेन, रचनात्मकता का परिचय देते हुये स्वयं द्वारा बनाये हुये ग्रीटिंग कार्ड...पूरा दृश्य कैमरे में कैद करने लायक था।
टीचर्स डे सलिब्रेट करने की कवायद शुरु की गई कक्षा 8 के विद्यार्थियों के द्वारा,  जब पूरे विद्यालय में ये बात फैल गई कि वे पाँच मंजिला केक मँगाने जा रहे हैं। खबर मिलने की देरी थी, सभी ने टीचर्स डे मनाने की योजना बना ली...केक पाँच मंजिला ना हुआ तो क्या हुआ...खिलाने के लिये एक टुकड़ा ही काफी है। आनन-फानन में सारे क्लासेज में पैसा इकट्ठा हुआ और तैयारी शुरु हो गई। कल सुबह से ही सारे क्लासेज के बच्चों ने अपने-अपने क्लासेज को भरसक सुंदर सजाने का कार्य किया लेकिन इन सबके बीच कक्षा 8 के विद्यार्थियों ने अपनी लगन और मेहनत की बदौलत बाजी मार ली। उन्होने अपनी कक्षा को वाकई बहुत सुंदर तरीके से सजाया लेकिन इसके साथ ही साथ सेलिब्रेट करते वक्त क्लास को सुंदर सजाने और केक ऊँचा मँगाने की अहंभावना से वे बच ना सके और उन्होने अपनी खुशी को अपने गले के माध्यम से व्यक्त करना उचित समझा, लिहाजा शोर भी बहुत हुआ।
कक्षा तीन के विद्यार्थियों ने शालीन तरीके से केक काटकर अपने कक्षाध्यापक को खिलाया और शांत तरीके से सेलिब्रेट किया हालाँकि बहुत सारे बच्चे अन्य अध्यापकों को गिफ्ट देने और केक खिलाने के प्रयास में पूरे विद्यालय में दौड़ते देखे गेये। कक्षा चार के विद्यार्थियों के कक्षा को भरसक तरीके से सुंदर सजाने का प्रयास किया और कक्षाध्यापक को केक खिलाकर सुंदर तरीके से सेलिब्रेट किया। लाउड तरीके से टीचर्स डे सेलिब्रेट करने के मामले में कक्षा पाँच के विद्यार्थी भी पीछे नही रहे, अपने कक्षाध्यापक के हाथों केक कटवाकर खिलाने के दौरान कक्षा पाँच में प्रसन्नता के साथ-साथ अव्यवस्था भी देखने को मिली। कक्षा 6 और 7 के विद्यार्थियों ने कमोबेश शांत तरीके से मनाया और कक्षाध्यापकों के हाथों केक कटवाया। कक्षा 9 के विद्यार्थियों ने सम्मिलित रूप से सारे अध्यापकों की मौजदूगी मे अपने कक्षाध्यापक मिस्टर मनोज गुप्ता से केक कटवाया और उन्ही के हाथों से सभी अध्यापकों को खिलवाया भी।
टीचर्स डे सेलिब्रेशन के मामले में सबसे सुंदर और यादगार तरीका अपनाया कक्षा 10 के विद्यार्थियों ने। परंपरागत तरीके से उन्होने डा. राधाकृष्णन की प्रतिमा पर माल्यार्पण कराकर और उसके बाद अगरबत्ती जलवाकर सारे अध्यापकों को पुष्पार्पण करने के लिये आमंत्रित किया। अध्यापकों द्वारा प्रेरणा के दो शब्द कहे जाने के बाद उन्होने जलपान कराया और उसके बाद एक मजेदार कार्यक्रम कराया जिसमें मेज पर पड़ी हुई पर्चियों में से, अध्यापकों द्वारा एक-एक करके उठवाया और पर्ची पर लिखे हुये कार्यों के अनुसार हर अध्यापको से वह कराया भी। शुरुआत हुई मनोज सर से जिनके हिस्से में मिमिक्री करने का दुरूह कार्य आ गया जिसे करना उनके जैसे शुष्क और गंभीर अध्यापक के लिये एवरेस्ट पर चढ़ने जैसा था। परिणामस्वरुप उन्होने अपने जीवन से संबंधित अनुभव सुनाना ही बेहतर समझा और विद्यार्थियों का मनोरंजन किया। उसके बाद बारी आयी पवन सर की जिन्होने पर्ची के अनुसार एक सुंदर भजन सुनाया। मनमीत सर के हिस्से में मजेदार काम, डांस करना आया जिसे उन्होने स्लो मोशन डांस करके बखूबी पूरा किया। कृष्णा सर ने ऋषभ की एक्टिंग करके खूब वाहवाही लूटी और मैने पर्ची के अनुसार अपने प्रिय अध्यापक के बारे में संस्मरण सुनाया। इसके बाद बारी आयी जार्ज सर की जिन्होने हार्स राइडिंग का सुंदर नमूना प्रस्तुत किया जिसे देखकर लगा कि वाकई केरल के अध्यापकगण अध्यापन में शारीरिक क्रियाकलापों द्वारा कक्षा के बोझिल माहौल को हल्का करके,  अध्ययन में रुचि पैदा करने की विशेष योग्यता रखते हैं। दीपक सर के हिस्से में जोक सुनाने का अत्यंत आसान कार्य आया जिसे वह पूरा नही कर सके, पर उन्होने भविष्य में चुटकुला सुनाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री करने का वादा जरूर किया। इसके बाद विद्यार्थियों के द्वारा अध्यापकों को उपहार भेंट किये गये और इसके बाद कार्यक्रम का समापन हुआ।
निसंदेह यह एक सराहनीय प्रयास  था जिससे विद्यार्थियों ने बहुत कुछ सीखा होगा, क्योंकि इस कार्यक्रम के आयोजन में विद्यार्थियों ने किसी भी अध्यापक का कोई सहयोग नहीं लिया था। यह उनका दिन था और उन्होने इसको यादगार बना दिया। 


दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....।

Tuesday, August 28, 2012

आजम खाँ और नेताओं की भाषा


          हमारे काबिल नेताओं की भाषा और उनका टेंपरामेंट कितना कमाल का है इसकी बानगी मिली लखनऊ में विधानभवन स्थित तिलक हाल में जहाँ पर नगर विकास मंत्री आजम खान ने दो दिवसीय समीक्षा बैठकें रखी थीं। बैठक के तय समय पर कई सारे अफसर नदारद थे जिनके बारे में एक वरिष्ठ पी.सी.एस स्वरूप मिश्र द्वारा पूछने पर माननीय मंत्री जी इतने आगबबूला हो गये कि उन्होने पहले तो पी.सी.एस. आफिसर को चुप बैठिये कहा। बाद में यह, बकवास करते हो...तक पहुँचा और अंत हुआ...बदतमीज कहीं का...के साथ।
            सवाल यह उठता है मंत्री महोदय लोग अपने आपको समझते क्या हैं, क्या वे आसमान से उतरे फरिश्ते हैं जिनसे कोई सवाल नहीं पूछा जा सकता। अगर एक वरिष्ठ पी.सी.एस. के साथ इस तरह का बर्ताव किया जाता है तो एक आम आदमी की इन महानुभावों के सामने औकात ही क्या। जनता को तो ये कीड़े-मकोड़े से ज्यादा की तवज्जो नहीं देते होंगे। 



दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....।

Tuesday, August 14, 2012

ओलंपिक और भारत में दिये जाने वाले पुरस्कार


आग लगने पर कुआँ खोदने वाली कहावत हमारे देश में बहुत प्रचलित है और 2012 के ओलंपकि खेलों में सटीक बैठती है। जब हमारा खिलाड़ी पदक जीतने से वंचित हो जाता है तो हम हो हल्ला मचाने लगते हैं और एक सुर में चीन से अपनी तुलना करने लगते हैं। लेकिन दूसरी ओर जब कोई खिलाड़ी पदक, जाहे वो कांस्य हो अथवा रजत हो, जीतता है तो देश में उसे पुरस्कार देने की होड़ मच जाती है। खिलाड़ी को एक करोड़, दो करोड़ देना तो आम बात हो जाती है।
सवाल यह है कि इस तरह रुपयों की बारिश करके असल में हम क्या साबित करना चाहते हैं। यह कि, पदक जीतो और इनाम पाओ अथवा यह कि, एक ओलंपिक पदक जीवन भर की कमाई से बेहतर है। यह सही है कि इस तरह के पुरस्कार खिलाड़ियों में पदक जीतने के जज्बें को बढ़ाने  के उद्देश्य से ही दिये जाते हैं लेकिन कहीं ना कहीं इसमें अरबपति कंपनियों का अपना स्वार्थ भी निहित है। बैठे-बिठाये ही उन्हे मीडिया की बेहिसाब कवरेज मिल जाती है। चार साल में एक बार कुछ खिलाड़ियों को रुपये देकर देश में खेल का कायाकल्प नहीं  हो सकता है। अगर ये कंपनिया वाकई देश में खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाना चाहती हैं तो उन्हे वही रुपये जो वे एक खिलाड़ी को बतौर पुरस्कार देते हैं, को किसी स्पोर्ट स्टेडियम, प्रशिक्षण केन्द्र इत्यादि  खोलने और सुचारु रूप से चलाने में खर्च करना चाहिये। अगर हर शहर, गाँव  में कुछ ऐसे स्पोर्ट कांपलेक्स खुल जायें तो निश्चित ही देश में खेल का कायाकल्प हो सकता है और उसके लिये न तो चीन जैसी तानाशाही प्रवृत्ति  की आवश्यकता है और ना ही पैसों का लालच। भारत के खिलाड़ियों में देश के प्रति जज्बा ही काफी है। 


दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....।

Monday, August 13, 2012

सुशील कुमार


वर्तमान भारतीय कुश्ती के सरताज सुशील कुमार का जन्म 26 मई 1983 को बपरोला, दिल्ली में हुआ। सुशील के पिता दीवान सिंह डी टी सी में बस ड्राइवर थे और माता कमला देवी एक सामान्य गृहिणी थीं। सुशील को कुश्ती की प्रेरणा अपने चचेरे भाई संदीप और चाचा जी से मिली जो खुद एक पहलवान थे। संदीप ने सुशील के लिये अपने कुश्ती करियर को तिलांजलि दे दी क्योंकि एक मध्यमवर्गीय परिवार उस समय एक ही बच्चे को कुश्ती के लिये आवश्यक संसाधन मुहैया करा सकता था।

कुमार ने अपने कुश्ती का प्रशिक्षण छत्रसाल अखाड़ा से चौदह साल की उम्र में पहलवान यशवीर और रामफल के निर्देशन में शुरू किया। बाद में उन्होने अर्जुन पुरस्कार प्राप्त पहलवान सतपाल और रेलवे के कोच ज्ञान सिंह से भी प्रशिक्षण लिया। शुरुआती दौर में सुशील को काफी परेशानियों से दो चार होना पड़ा, जिसमें बिछाने के लिये बिस्तर और सोने के लिये अन्य प्रशिक्षुओं के साथ कमरा बाँटना भी था।


सुशील का करियर-
पहली सफलता सुशील को तब मिली जब उन्होने वर्ल्ड कैडेट गेम 1998 में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद उन्होने एशियाई जूनियर कुश्ती प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक सन् में जीता।  जूनियर प्रतियोगिताओं में अपनी विजय पताका फहराने के बाद सुशील ने एशियाई कुश्ती प्रतियोगिता में कांस्य पदक और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता। 2003 में विश्व कुश्ती चैंपियन के मुकाबले में सुशील कुमार चौथे स्थान पर रहे थे। 2004 के एंथेंस ओलंपिक में वह चौदहवें स्थान पर रहे थे।  विजय के उनके सुनहरे सफर की शुरुआत 2005 के राष्ट्रमंडल खेलों से हुई जब उन्होने स्वर्ण पदक जीता। 2007 के राष्ट्रमंडल खेलों में भी उन्होने स्वर्ण पदक जीता।  2007 में हुए विश्व चैंपियनशिप में वो सातवें स्थान पर रहे और उसके बाद 2008 के बीजिंग ओलंपिक में उन्होने कांस्य पदक जीता।  ओलंपिक में अपने पदकों की संख्या बढ़ाते हुये 2012 के लंदन ओलंपिक में उन्होने रजत पदक जीता। हम आशा करते हैं कि सुशील कुमार 2016 में होने वाले ओलंपिक जिनका आयोजन रियो डि जेनेरियो में होने वाला है, वह स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम अवश्य ही रोशन करेंगे।
सुशील कुमार के लिये हर भारतवासी की तरफ से दिल से शुभकामनायें।


दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....।

Thursday, August 9, 2012

सनी लियोन और हमारा समाज


यह सही है कि समाज में हमेशा से ऐसी चीजें मौजूद रही हैं जिनके बारे में हमने दोतरफा राय बना रखी है, एक पर्दे के पीछे और दूसरी पर्दे के सामने । कुछ दशकों के पूर्व तक यह प्रश्न हमारे समाज के सामने इतने विकराल रूप में नही आया था कि उत्तर देते समय हमारी स्थिति साँप छंछूदर जैसी हो जाये। जिस पोर्नोग्राफी के बारे में बात करते समय, कुछ वर्षों पहले हमारी जबान लड़खड़ा जाती थी, चेहरे पर एक स्वाभाविक सी झिझक आ जाती थी, ऐसा क्या हो गया कि उस पर बात करना तो बीती बात है, उसमें पैसों के लिये काम करने वाली एक औरत को देखने के लिये सिनेमाघर के टिकट खिड़की पर मार-मारी की स्थिति पैदा हो जा रही है।

पहली बात तो हमें यह समझ लेनी चाहिये कि वर्तमान समय में समाज के विकास का पहिया पैसों की ताकत की वजह से ही आगे बढ़ रहा है। पूरा विश्व धन के पीछे अंधा होकर इस कदर भाग रहा है कि उसे पैरों के नीचे आने वाले कंकड़ों पत्थरों की भी परवाह नही। शायद वह यह भूल गया है कि इन्ही की वजह से पैरों में लगने वाले छोटे-छोटे घाव कालांतर में नासूर बनकर उसे ही मार डालेंगे। पैसे कमाने की बेहिसाब चाहत की वजह से ही फिल्मकारों का एक समूह लागातार ऐसे विषयों को चुनता रहा है जिसके प्रति समाज में हमेशा से ही एक अँधेरा कोना व्याप्त रहा है। अँधेरा, उजाले से ज्यादा आकर्षित करता है, क्योंकि अँधेरे में वे सारे कार्य किये जा सकते हैं जिसे करने में उजाला बंदिशे उत्पन्न करता है।

सनी लियोन पोर्न फिल्मों में काम करने वाली एक औरत है। (मैं यहा मीडिया के तथाकथित पोर्नस्टार संज्ञा का प्रयोग नही कर रहा हूँ, क्योंकि अगर सनी लियोन स्टार है, तो भगवान ना करे कि उस जैसी स्टार बनने की प्रेरणा हमारे समाज में हिलोरे मारने लगे। उसे स्टार का दर्जा देकर मीडिया अपनी गर्दन शुतुरमुर्ग की भाँति रेत में डाल रहा है) उसकी बदनामी को कैश करने की साजिश बालीवुड के कुछ लोगों ने की। दुख की बात तो यह है कि वे अपने मकसद में कामयाब भी हुये और आगे भी उनका मकसद इस तरह के फायदे को भुनाना है। बिग बास के सीजन 5 में बतौर कलाकार सनी लियोन का प्रवेश भारतीय चलचित्र की दुनिया में हुआ और अचानक भारत जैसे देश में सनी लियोन के ऊपर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। प्रिंट और मोशन मीडिया में सनी लियोन के नाम का डंका बज गया। कुछ लोगों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई देते हुये रुढ़िवादियों के समूह को पानी पी-पीकर कोसना शुरू कर दिया। और आखिरकार हुआ वही जो नहीं होना चाहिये था, एक निर्माता-निर्देशक पहुँच गये बिग बास के घर में सनी लियोन को अपनी कहानी सुनाने। अँधे को क्या चाहिये दो आँखे...लियोन ने हाँ कर दी। वहीं से शुरु हो गया पैसे कमाने का खेल, जिसे खेलने वाले अपनी पीठ थपथपा सकते हैं, क्योंकि जिस्म-2 ने रिलीज के पहले ही वीकेंड में 21 करोड़ कमा लिये। उत्तर भारत के ग्रामीण इलाके में एक कहावत बहुत प्रचलित है कि पैसा तो एक प्राश्चीट्यूट भी कमा लेती है। हमारे समाज ने कभी भी प्राश्चीट्यूट को नहीं स्वीकारा लेकिन इन प्राश्चीट्यूट्स से भी गंदे और बुरे वे लोग हैं जो बीच में रहकर ग्राहकों से इनका संपर्क कराते हैं जिसे आम भाषा में दलाल कहा जाता है। पे प्राश्चीट्यूट की उस कमाई में अवैध हिस्सा लेते हैं जिसे कमाने के लिये कोई भी प्राश्चीट्यूट सौ बार मर चुकी होती है। लेकिन सनी लियोन और हमारे फिल्म निर्देशक का मामला बिलकुल उलट है। लियोन यह कहती है कि उसने पोर्नोग्राफी का क्षेत्र अपने मर्जी से चुना और इसमें वह कोई  बुराई नही मानती। इस संदर्भ में हमारे निर्देशक की भूमिका और भी गंदी हो जाती है, उसने एक बदनाम औरत को लेकर, एक बदनाम विषय पर, एक बदनाम फिल्म बनाई। कहते हैं कि, नाम ना होगा तो क्या बदनाम भी ना होंगे। बदनामी भी एक तरह की प्रसिद्धि ही है, जिसे पाने का रास्ता बिल्कुल भी कठिन नही है।

शायद कम ही लोग जानते होगे कि जिस्म 2 की निर्माता, जो खुद एक औऱत हैं, उनके बारे में आज के पहले लघभग बारह  या चौदह साल पूर्व एक स्कैंडल हो चुका है। उनकी एक न्यूज तस्वीर मैगजीन में छप गई थी जिसे लेकर बहुत बड़ा बवाल मचा था। मामला पुलिस तक पहुँच गया था। उस मामले में आज की इस बोल्ड निर्माता के रोते-रोते बुरा हाल था। बाद में पता चला कि किसी और औरत के शरीर के उपर इनका फोटो चिपका दिया गया था।  जिस घटना ने उनका जीना हराम कर दिया था आज वह उसी प्रकार के दूसरी बदनाम औरत का सहारा लेकर पैसा कमा रही हैं।
असल में इसमें सनी लियोन का कोई दोष नही है। वह तो एक कठुतली है जिसे पैसों की उंगलियों की बदौलत कहीं भी, किसी भी प्रकार से नचाया जा सकता है। दोषी वे लोग हैं जिन्होने लियोन के जरिये पैसा कमाने का गंदा खेल खेला है।

अब एक सवाल उठता है कि महाराष्ट्र में राज ठाकरे, उत्तर भारत में संघ जैसे कट्टरवादी संगठन, तथाकथित मौलान लोग जो विरोध करने के लिये विशेष रूप से पहचाने जाते हैं उनकी बोलती इस मसले पर बंद क्यों है। क्या राज ठाकरे की राजनीति मात्र उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूरों को खदेड़ने पर ही टिकी है, क्या संघ का  गुस्सा सिर्फ वैलेंटाइन डे पर ही फूटता है, या फिर मौलाना लोग तभी कुछ बोलेंगे जब बात उनके मजहब से संबंधित होगी। किसी को नजर क्यों नही आ रहा कि कुछ लोग हमारी संस्कृति और समाज का बलात्कार करने पर तुले हुये हैं। क्या आतंकवाद की परिभाषा खून के छींटों से ही लिखी जाती है। करोड़ों युवा लड़के और लड़कियों के दिमाग में जो बम प्रतिदिन फूट रहें हैं उनका कुछ नही। 

अगर अनारा गुप्ता, वाटर और प्राश्चीट्यूट्स का विरोध हो सकता है तो, हम किसलिये जिस्म 2 देखने के लिये थियेटरों में जा सकते हैं। हमारे समाज का यही दोतरफा चेहरा है जिसने हमें हमेशा गर्त में ढ़केला है। 

दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....।

मतदान स्थल और एक हेडमास्टर कहानी   जैसा कि आम धारणा है, वस्तुतः जो धारणा बनवायी गयी है।   चुनाव में प्रतिभागिता सुनिश्चित कराने एवं लो...