थ्री इडियट्स बहुत अच्छी फिल्म है, इसमें कोई शक नही। मनोरंजक तरीके से आज की शिक्षा पद्धति पर प्रहार करती यह फिल्म राजकुमार हिरानी की पिछली फिल्मों, मुन्नाभाई एम बी बी एस और लगे रहो मुन्नाभाई की अगली कड़ी है, जिसका उद्देश्य स्वस्थ मनोरंजन के साथ-साथ समाज को एक संदेश देना है। मजेदार बात यह है कि फिल्म के हीरो, निर्माता तथा राजकुमार हिरानी स्वयं, थ्री इडियट्स में प्रस्तुत किये गये संदेश से कितने प्रेरित हैं और उन सिद्धातों को अपने जीवन में कितना उतारते है।
फिल्म का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह है कि, कामयाबी के पीछे नही, काबिलियत के पीछे भागो, कामयाबी झख मारकर तुम्हारे पीछे आयेगी। आमिर खान, राजकुमार हिरानी तथा विधु विनोद चोपड़ा ने इस सिद्धांत को कितनी शिद्दत से अपने उसी फिल्म के प्रमोशन के संदर्भ में उतारा है, सोचने लायक है। आमिर खान इस फिल्म के प्रमोशन के लिये बाकायदा रूप बदलकर बनारस की गलियों में घूमें, बाकायदा एक प्रतियोगिता आयोजित करके कि जो उनको ढ़ूंढ़ लेगा वह उनके साथ समय बितायेगा। आमिर खान एक मामले में जीनियस है, वो अपनी फिल्म के प्रमोशन के लिये उतनी ही मेहनत करते हैं जितनी मेहनत एक डायरेक्टर अपनी फिल्म बनाने में करता है।
अगर आमिर खान काबिलियत पर विश्वास करते हैं तो उन्हे अपने अजीबो गरीब तरह के प्रमोशन कैंपेन्स को अलविदा कर देना चाहिये और अगर कामयाबी पर विश्वास करते हैं तो उन्हे चतुर से हार मान लेनी चाहिये।
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वाह इस अंदाज़ से तो मैंने सोचा ही नहीं था.
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