Wednesday, February 17, 2010

आदत....

मित्रों, जब कभी भी हम किसी नये परिवेश में प्रवेश करते हैं, नये लोगों से मिलते हैं, नई चीज देखते हैं तो पहली-पहली बार हम कोई ना कोई प्रतिक्रिया करते हैं, यह मानवीय आचरण है। यही होता है जब हम किसी अनचाही वस्तु, घटना या फिर व्यक्ति से मिलते हैं। हो सकता है कि वह वस्तु, घटना या व्यक्ति हमें पसंद ना हो और हम किन्ही कारणों विशेष से उसपर प्रतिक्रिया ना दे सकें तो इसका मतलब यह नही कि हम प्रतिक्रिया देना नही चाहते बल्कि इसका मतलब यह है कि हम किसी ना किसी कारण से अपनी प्रतिक्रिया नही दे सकते है। इसके कई कारण हो सकते हैं, मसलन हमपर किसी का दबाव हो या फिर हमें यह डर हो कि हमारी प्रतिक्रिया का ना जाने कैसा असर हो।

मैं यह कहना चाहता हूँ कि कभी कभी हमारे सामने परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं जब हमें कोई चीज पसंद नही होती और हम चाहते हैं कि उसे रोकें पर हम रोक नही पाते, क्योंकि हममें वो क्षमता नही होती। उदाहरण के लिये, किसी बच्चे का बाप प्रतिदिन शराब पीकर आता है और उसकी माँ को भद्दी गालियाँ देता है, वह लड़का और उसके दूसरे भाई बहनों के साथ-साथ उसकी मां भी अपने पति के इस आचरण के विरुद्ध आक्रोशित होते होंगे पर कुछ कर नही पाते होंगे, क्यों....क्योंकि वे लाचार हैं क्योंकि वो बाप शाम के पहले उनके दो वक्त के रोटी का बंदोबस्त करता है, इसके साथ साथ वे उसके विरुद्ध कोई कदम भी नही उठा सकते क्योंकि वह उनके परिवार का संबल है, पर इस वजह से उसकी दुष्टता और निर्दयता कम नही हो जाती और ना ही उसके परिवार वाले उसके उस व्यवहार से खुश होते होंगे, नतीजन...धीरे धीरे उनको उस गंदे व्यवहार की आदत हो जाती है....मैं यही कहना चाहता हूं, जब हम किसी गलत कार्य, व्यवहार और व्यक्ति को यह जानते हुये कि यह गलत है, बर्दाश्त करते जाते हैं तो धीरे-धीरे वह गलत कार्य, व्यवहार और व्यक्ति हमारी आदत में शुमार हो जाता है और कालांतर में हमें वो सारी चीजें हमारी जिंदगी का एक हिस्सा लगने लगती हैं। ये एक खतरनाक स्थिति होती है जब हम गलत चीज को अपनी जिंदगी का हिस्सा मानने लगते हैं।

अब जरा सोंचे, कि क्या हम आतंकवाद को कई दशकों से बर्दाश्त करते करते उसके आदी तो नही बनते जा रहे, क्या प्रतिदिन की आतंकवादी घटनाओं के बारे में समाचार पत्रों में खबरें पढ़ना हमारी आदत में तो शुमार नही होता जा रहा है। शायद हाँ....

अगर ऐसा है तो हम सोच सकते हैं कि हमारी हालत क्या है.....

आदत व्यक्ति के पुरुसार्थ की कमी से उत्पन्न हुई एक नाजायज स्थिति है जिसकी उपस्थिति से व्यक्ति कमजोर हो जाता है और वो गलत चीजों को अपनी जिंदगी का हिस्सा मानने लगता है। आतंकवाद, भ्रष्टाचार जमाखोरी, देशद्रोह इत्यादि इन सभी गलत चीजों को बर्दाश्त करते करते हम उसके आदी हो चुके हैं....इसका मतलब है...........

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