Monday, May 10, 2010
भारतीय संविधान और संशोधन
भारतीय संविधान साठ साल पहले कई दर्जियों द्वारा कई देश के कपड़ों को मिलाकर कई साल में सिली गयी पुराने फैशन की वो पतलून है जिसको 18 जून,1951 में ही संसोधन का पैबंद लग गया था, दुर्भाग्यवश पैबंद लगने बंद नही हुये और 12 जून 2006 तक 94 पैबंद लग चुके और आज आलम यह है कि वो पतलून तो कहीं दिख ही नही रही है, दिख रही हैं तो बस पैबंदे, और तार-तार हो चुकी भारतीय कानून और व्यवस्था की इज्जत। काश कि इस फटे हुये पतलून को बदला जा सकता...।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मतदान स्थल और एक हेडमास्टर कहानी जैसा कि आम धारणा है, वस्तुतः जो धारणा बनवायी गयी है। चुनाव में प्रतिभागिता सुनिश्चित कराने एवं लो...
-
मुलायम ने कल्याण सिंह को अपनी पार्टी में शामिल करने का पत्ता खेला और दाँव उल्टा पड़ गया, नतीजन उनको विधानसभा चुनावों में हार का मुँह देखना प...
-
शिब्बनलाल सक्सेना , महराजंगज के मसीहा के रूप में प्रसिद्ध। जन्म 13 जुलाई 1906 में आगरा के गोकुलपुरा न...
-
दिल से निकलगी, ना मरकर भी, वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आयेगी....। जब बादलों ने धरती से अपना पुराना हिसाब चुकाने का अच्छा स...
काश????????????????????????????????
ReplyDeleteकाश यह सच होता इस बात पर मैं आप से पूरी तरह सहमत हूँ आपकी लेखनी में एक आग है ऐसे ही लिखते रहिये.
ReplyDelete