![]() |
साभार-जागरण जोश |
19 मार्च को भारत के
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता को संबोधित करते हुये 22 मार्च रविवार को जनता
कर्फ्यू का ऐलान किया था। उन्होने कहा था कि हर भारतीय सुबह सात बजे से रात के 9
बजे तक अपने घर में रहे। कोरोना से लड़ने में डाक्टर, नर्सेज, पैरामेडिकल स्टाफ के
योगदान की प्रशंसा करते हुये उन्होने कहा कि सभी लोग शाम के 5 बजे अपने घरों के
बाहर उन लोगो का अभिवादन ताली, थाली इत्यादि बजाकर करें। 22 मार्च को प्रधानमंत्री
के अपीलानुसार सभी भारतीय अपने घर में रहे और शाम को सभी ने कोरोना वीरों का
अभिवादन किया।
इन सबके बावजूद
रविवार, सोमवार को कोरोना के मरीजों में बढ़ोतरी देखी गयी जिसके बाद प्रधानमंत्री
ने मंगलवार रात के आठ बजे जनता को संबोधित करते हुये पूरे भारत में 21 दिनों का
लाकडाउन घोषित कर दिया। प्रधानमंत्री जी ने कहा कि जनता को कोरोना से बचाने के यह
कठोर कदम उठाना पड़ा। उन्होने भारतवासियों से अपील किया कि 21 दिनों के लिये सभी
अपने घरों में रहे और लाकडाउन का पालन करें।
आज 26 मार्च दिन के
12 बजे तक कोरोना मरीजो की संख्या 665 पहुँच गई है। इनमें से 43 मरीज ठीक हो चुके
हैं और 11 मरीजों की मौत हो चुकी है। भारत सरकार और उसकी स्वास्थ्य एजेंसिया
दिन-रात एक करके कोशिश कर रही हैं कि कोरोना को स्टेज 2 पर ही रोककर रखा जाय और
इसे कम्यूनिटी में फैलने न दिया जाय। हाँलाकि पूरे देश में लाकडाउन घोषित कर दिया
गया है लेकिन भारत जैसे विशाल देश जिसकी जनसंख्या 130 करोड़ के आसपास है, वहाँ
एकाएक जनजीवन को हाल्ट पर नही डाला जा सकता। इसलिये पिछले दो दिनों में देश के हर
कोने से लोगों द्वारा लाकडाउन के हल्के-फुल्के उल्लंघन की खबरें आ रही हैं।
प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्ती
से पेश आने का ऐलान कर दिया है। पुलिस अपने स्तर से थोड़ी सख्ती बरत भी रही है। सोशल
मीडिया पर आने वाले वीडियोज में पुलिस ऐसे लोगों पर लाठियाँ भाँज रही है।
भारत में कोरोना
वायरस और बीमारी के बारे में कोई आथेंटिक सूचना स्रोत न होने की वजह से लोग
इधर-उधर से कापी पेस्ट की हुई जानकारी सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं। इसे देखते हुये
सरकार ने एक साइट लांच की है जिसपर कोरोना से संबंधित हर प्रकार की जानकारी मौजूद
है।
उपरोक्त साइट पर भारत
में कोरोना का हर अपडेट मौजूद है जिसे हर चार घंटे में अपडेट किया जा रहा है। हर
भारतीय को चाहिये कि कोरोना से संबंधित जानकारी के लिये इसपर मौजूद जानकारी पर ही
भरोसा करें।
लाकडाउन का महत्व-
आज जबकि पूरा विश्व
कोरोना के प्रहार से कराह रहा है। भारत कतई नहीं चाहता कि उसकी स्थिति दूसरे देशों
जैसी हो। इसके लिये हर प्रयास किये जा रहे हैं। 21 दिनों का लाकडाउन इसी कड़ी में
प्रयास है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा था कि यदि हमने इन 21 दिनों में
सावधानी नहीं बरती तो भारत मे 21 साल पीछे चला जायेगा। इसलिये हर भारतवासी का यह
कर्तव्य है कि वह लाकडाउन का पूरी गंभीरता से पालन करें। प्रधानमंत्री ने कहा था
कि उन्होने यह फैसला मेडिकल फील्ड के विशेषज्ञों से बातचीत करके लिया है। जिनका
कहना था कि कोरोना वायरस को हवा में से पूरी तरह खत्म होने में तीन हफ्ते तक का
समय लग सकता है। जिसके मद्देनजर 21 दिनों का लागडाउन घोषित किया गया है।
लाकडाउन से होने वाली
परेशानियाँ-
वहीं दूसरी ओर
अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ यह आशंका जता रहे हैं कि इतने ज्यादा दिनों तक
लाकडाउन के समय में भारत में अनेकों प्रकार की परेशानियाँ खड़ी हो सकती हैं-
1-भारत की ज्यादातर
जनसंख्या गरीब है जो अपने रोजगार के लिये दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर करती है।
लाकडाउन के समय में उनके रोजगार का संकट पैदा हो जायेगा और उन्हे भोजन प्राप्त
करने की समस्या उत्पन्न हो जायेगी।
2-भारत की ज्यादातर
कामगार जनसंख्या असंगठित क्षेत्र में है। कई महीनों से कारखानों में बंदी की स्थिति
है जिससे इन कामगारों की नौकरी जा चुकी है। यह सभी अपने घरों को लौट चुके हैं जहाँ
पहले से ही समस्यायें मौजूद है। ऐसे समय में उन्हे अपने घर का खर्च चलाना मुश्किल
हो जायेगा।
3-यह लाकडाउन ऐसे समय
में किया गया है जहाँ एक और वायरस का खतरा है तो दूसरी ओर लोगों के घरो में
खाने-पीने की चीजों की किल्लत है। ऐसे समय में कानून-व्यवस्था को बनाकर रखना भी
बहुत बड़ी चुनौती है। यदि जनता में खाने-पीने की चीजों की किल्लत नाकाबिले
बर्दाश्त हद तक हो जाती है तो लूट-पाट की नौबत भी आ सकती है।
आशंकायें-
कुछ लोगों का यह
मानना है कि भारत ने यह लाकडाउन देर से किया है और भारत में कोरोना मरीजों की
संख्या में कमी इसलिये देखी जा रही है क्योंकि यहाँ मरीजों का टेस्ट बहुत कम किया
गया है। चूँकि भारत में अभी कोरोना टेस्ट किट बहुत स्तरीय नहीं है इसलिये इसकी
विश्वसनीयता पर बहुत ज्यादा यकीन भी नहीं किया जा सकता है। कुछ लोगों का विचार है
कि अगले 15 मई तक भारत में कोरोना के मरीजों की संख्या कई लाख हो सकती है। कुछ लोग
भारत सरकार पर निम्नलिखित सवाल उठा रहे हैं-
1-भारत ने शुरुआती
दौर में अपना ध्यान चाइना, नेपाल और जापान जैसे पूर्वी देशों पर ही रखा और पश्चिमी
देशों जैसे ब्रिटेन, इटली, फ्रांस इत्यादि से आने वाले यात्रियों पर नजर नहीं रखी।
भारत में ज्यादातर कोरोना वायरस के केसेज इन्ही देशों से वापस आये मरीजों द्वारा
फैले हैं।
2-भारत में
अंतर्राष्ट्रीय विमानों के आवागमन पर रोक बहुत देर बाद लगाई गयी। उस समय तक
ज्यादातर लोग वापस आ चुके थे जिनकी वजह से शुरूआती संक्रमण हो चुका था।
3-भारत ने लाकडाउन
करने में देर कर दी है।
4-मुंबई, दिल्ली,
गुजरात इत्यादि से वापस आने वाली वो कामगार जनसंख्या जो बिना किसी जाँच-पड़ताल और
टेस्ट के, वापस अपने घर, राज्य में आ चुकी है, वे कोरोना के सबसे बड़े कैरियर के
रूप में हो सकते हैं, जिनकी वजह से बीमारी के फैलने का खतरा सबसे ज्यादा हो सकता
है।
अभी तक-
फिलहाल हम प्रार्थना
कर सकते हैं कि भारत में कोरोना उस स्तर तक न पहुँचे जहाँ से इसे संभालना नामुमकिन
हो जाये।
दस्तक सुरेन्द्र पटेल
निदेशक
माइलस्टोन हेरिटेज स्कूल
लर्निंग विद सेन्स-एजुकेशन विद डिफरेन्स